सिख दंगों की साजिश रचने वाले कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी करार दे दिया गया है। हाईकोर्ट ने दो और दोषियों की सजा 3 साल से बढ़ाकर 10 साल कर दी है।

हाईकोर्ट का ये फैसला निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए सज्जन कुमार को सिख दंगों को भड़काने में दोषी पाया है और उम्रकैद की सजा सुनाई।

इस मामले पर लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता डॉ राम पुनियानी ने सोशल मीडिया पर लिखा- 1984 वाले सज्जनकुमार झांकी हैं, 2002 वाले नरेंद्र मोदी बाकि हैं।  

गौरतलब हो कि गुजरात में हुए दंगें में तब के गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को एसआईटी ने क्लीनचीट तो दे दी है। मगर दंगा भड़काने का आरोप माया कोडनानी पर भी लगा था जो बीजेपी के टिकट से तीन बार की विधायक बनी और नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री थी। वो पहली महिला वर्तमान विधायक थीं जिन्हें गोधरा दंगों के बाद सजा हुई थी।

आरोप था कि दंगों के दौरान हत्या करने वाली इस भीड़ का नेतृत्व कोडनानी ने किया था। माया कोडनानी नरेंद्र मोदी की काफ़ी क़रीबी मानी जाती हैं।

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इसके बाद बीजेपी के अध्यक्ष अमित शाह माया कोडनानी के लिए बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। उन्होंने कहा था कि पुलिस उन्हें और माया को सुरक्षित जगह ले गई थी क्योंकि ग़ुस्साई भीड़ ने अस्पताल को घेर लिया था।

बता दें कि न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायाधीश विनोद गोयल की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को बदल दिया है जिसने कांग्रेस नेता को बरी कर दिया था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की 31 अक्टूबर 1984 के हुई हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र में पांच लोगों की हुई हत्या के मामले में सज्जन कुमार और पांच अन्य पर मुकदमा चल रहा था।

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