george floyd
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क्रांति कुमार 

46 वर्षीया जॉर्ज फ्लॉयड ब्लैक अफ्रीकन अमेरिकन समुदाय से हैं. इसी ब्लैक अफ्रीकन अमेरिकन समुदाय ने अपने श्रम उत्पादन मेहनत से अमेरिका को बसाया, विकसित अमेरिका बनाया.

जॉर्ज छह और 22 वर्षीया दो बेटियों के पिता हैं. परिवार की पूरी जिम्मेदारी बखूबी संभालते थे. मिन्नेसोटा राज्य के मिन्नेपोलिस शहर के रेस्टोरेंट में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते थे. रेस्टोरेंट मालिक के अनुसार जॉर्ज बेहद मेहनती थे अपने काम को पूरी इमानदारी से करते थे.

25 मई जॉर्ज के लिए मनहूस दिन था. किसी अज्ञात व्यक्ति ने पुलिस को फ़ोन कर शिकायत की उसे किसी व्यक्ति पर शक है वह 20 डॉलर के जाली नोट से भोजन खरीद रहा है. पुलिस टीम पांच मिनिट पर बताए स्थान पर पहुंच गई.

पुलिस ऑफिसर डेरेक चौविन की नजर जॉर्ज पर पड़ी जो भोजन खरीद कर खा रहे थे. फ़ूड स्टोर पर अन्य लोग भी भोजन खा रहे थे लेकिन सिर्फ शक़ के आधार पर जॉर्ज को हाथ ऊपर करने को कहा गया, जॉर्ज कुछ समझ नही पाए, उन्होंने सवाल किया.

तीन पुलिस अफसरों ने जॉर्ज को ज़मीन पर पटक दिया, अन्य पुलिस डेरेक चौविन ने अपना बायां पैर जॉर्ज की गर्दन पर रखकर दिया. कुल 8 मिनिट पर डेरेक चौविन ने जॉर्ज की गर्दन पर पैर रखा रहा. जॉर्ज चिल्लाते रहे मुझे छोड़ दो,

I can’t breath… मैं सांस नही ले पा रहा हूँ, मैं सांस नही ले पा रहा हूँ… जॉर्ज तड़पते रहे लेकिन नस्लवाद का पैर उनकी मौत के बाद गर्दन से उठा.

जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में प्रदर्शन हो रहे हैं. गोरा काला हर चमड़ी का रंग विरोध प्रदर्शन में नजर आ रहा है. हर अमेरिकन सवाल कर रहे है क्या नस्लवाद का पैर किसी व्यक्ति की मौत तय करेगा.

अमेरिका ने साबित कर दिया कोरोना से ज्यादा खतरनाक नस्लवाद है, नस्लीय हिंसा और असमानता की मानसिकता को बर्दाश्त नही करेंगे. लेकिन भारत हर रोज जॉर्ज फ्लॉयड जैसे लोग जाति के नाम पर मार दिए जाते हैं. कभी पुरे भारतीय समाज ने एक होकर जातिवादी हिंसा असमानता के खिलाफ प्रदर्शन नही किया.

भारत में जॉर्ज फ्लॉयड को मूंछ रखने पर, घोडा पालने पर, घोड़ी पर चढ़ने पर, बुलेट खरीदने पर, ऊंचा मकान बनाने पर, उच्च शिक्षा हासिल करने पर, अच्छे कपड़े पहनने पर… ब्राह्मणवाद अपने पैरों से गर्दन दबा कर हत्या कर देता है.

मरने से पहले हर पीड़ित जॉर्ज फ्लॉयड की तरह चिल्लाता है तड़पता है कहता है I can’t breath मैं सांस नही ले पा रहा हूँ !

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