
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष और सांसद मनोज तिवारी और आम आदमी पार्टी के समर्थकों के बीच हुई झड़प में पुलिस के साथ धक्का मुक्की की।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि किस तरह जब पुलिस बीच बचाव कर रही थी तभी अचानक मनोज तिवारी एक पुलिस अधिकारी से भीड़ गए घटना के बाद उन्होंने सबको देख लेने जैसी धमकी भी दी।
दरअसल सिग्नेचर ब्रिज के उद्घाटन समारोह के दौरान दिल्ली बीजेपी सांसद मनोज तिवारी पहुंचे थे। जहां उन्होंने पहले सीएम केजरीवाल से मिलने की बात कही और ब्रिज को बनवाने का दावा किया।
उनके साथ कई बीजेपी समर्थक भी थे जिन्होंने आप पार्टी द्वारा लगाए पोस्टर और होर्डिंग को फाड़ा और उसके बाद काफी देर तक हंगामा किया।
मनोज तिवारी और आप समर्थकों के बीच बचाव करने पहुंचे पुलिस अधिकारी से अच्छे से पेश होने के बजाय उन्हीं के साथ बदसलूकी करने लगे और लगभग कॉलर पकड़ लिया जिसके बाद किसी तरह से मामला शांत कराया गया।
अगर सिग्नेचर ब्रिज का उद्घाटन BJP करती और आप नेता ने हंगामा किया होता तो पुलिस क्या करती?
मगर सवाल ये उठता है कि क्या ये वही बीजेपी है और उसके सांसद है जो जवानों के नाम आखें नम कर लेते है। क्या पुलिस अधिकारी पर किसी को अपनी दबंगई देखने की आज़ादी होती है अगर उसकी सरकार केंद्र में हो तो एक पुलिस जवान की कोई अहमियत नहीं होती है? क्या जवानों को अब सम्मान भी बीजेपी अपनी सहुलियत के हिसाब देगी।
गौरतलब हो कि मनोज तिवारी ने इस पूरे मामले पर कहा है कि उन्होंने किसी के साथ बदसलूकी नहीं की बल्कि उन्हें जान से मारने की कोशिश ज़रूर की गई है। तिवारी ने पुलिस और आप समर्थकों पर उलटा उनके साथ बदसलूकी करने का आरोप लगाया है।
बीजेपी सांसद ने कहा, ‘पुलिस के कुछ लोगों ने अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर मेरे साथ धक्का-मुक्की की है। उन लोगों की भी शिनाख्त हो गई है’। तिवारी ने धमकी देते हुए कहा ‘इन लोगों को चार दिनों में बताऊंगा कि पुलिस क्या होती है’।
अगर मनोज तिवारी की जगह AAP नेता ने मारपीट की होती तो पुलिस उसे आतंकी बताकर जेल में डाल देती
वहीँ पुलिस के साथ की गई इस बदसलूकी के बाद बीजेपी सांसद की गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।
विपक्षी नेताओं से लेकर कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया के ज़रिए यह सवाल उठाया है कि पुलिस अधिकारी से मारपीट करने वाले मनोज तिवारी को आख़िर पुलिस गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही?