पत्रकारों पर शिकंजा कसने की योगी सरकार की चाल उल्टी पड़ गई। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि प्रशांत कनौजिया को क्यों गिरफ्तार किया गया ? उसकी गलती क्या थी?
भले ही उसे इस तरह का ट्वीट नहीं करना चाहिए था लेकिन गिरफ्तारी का आधार क्या है? लोगों के ओपिनियन अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन इस आधार पर उन्हें गिरफ्तार तो नहीं किया जा सकता है !
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि पत्रकार को जेल में क्यों रखा गया है ? क्या पत्रकार ने कोई मर्डर किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया है कि प्रशांत कनोजिया को रिहा किया जाए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इसलिए भी ऐतिहासिक है कि हम एक ऐसे दौर में जी रहे हैं जब सरकारें मीडिया का मुंह बंद करना चाहती हैं।
Supreme Court hearing plea of freelance journalist, Prashant Kanojia, against his arrest for 'defamatory video' on UP CM: Supreme Court says, "Opinions may vary, he (Prashant) probably should not have published or written that tweet, but on what basis was he arrested." pic.twitter.com/oWwX9Ujifg
— ANI (@ANI) June 11, 2019
इसलिए भी ये फैसला ऐतिहासिक है कि मामला सोशल मीडिया से जुड़ा था और सोशल मीडिया पर ही अभिव्यक्ति की दमदार आवाज आ पा रही हैं। अगर सोशल मीडिया पर भी सरकार का इसी तरह शिकंजा कस गया तो लोग दहशत में जीने लगेंगे।
बता दें कि प्रशांत की गिरफ़्तारी के विरोध बसपा सुप्रीमो मायावती से लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तक ने योगी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगाया था। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दे ही दिया है योगी सरकार के लिए ये एक बड़ा झटका ज़रूर है।