सरकार द्वारा सीबीआई जैसी संस्था के निष्पक्ष होने के दावे अब बेमानी और क्रूर हो चुके हैं. हाल के सर्वे बताते हैं कि एनडीए के दूसरे कार्यकाल में सीबीआई द्वारा दर्ज किए गए 95 फीसदी केस सिर्फ विपक्ष के नेताओं पर हुए हैं, जिसका मकसद सिर्फ मौजूदा रूलिंग पार्टी भाजपा को फायदा पहुंचाना है.

यह जग जाहिर है कि आपराधिक प्रकृति के नेता भाजपा में भी मौजूद हैं जिन पर गुंडई, अपराध, आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के कई मामले दर्ज हैं लेकिन इन सबके बावजूद वो सीबीआई की गिरफ्त से बाहर हैं.

यह सिर्फ इसलिए हो रहा क्योंकि अभी उनकी सरकार है. भाजपा सीबीआई और ईडी जैसी संस्था का इस्तेमाल इस बेतरतीब तरीके से कर रही मानो वो सीबीआई जैसी कोई प्रतिष्ठित शाखा न होकर कोई लोकल थाना हो.

आंकड़े बताते हैं कि विगत वर्षों में सीबीआई ने सरकार के इशारे पर जो 95 प्रतिशत केस दर्ज किए हैं वो विपक्ष को निशाना बना कर ही किया गया है.

जिनमें 30 प्रतिशत तृणमूल कांग्रेस, 26 प्रतिशत कांग्रेस, 10 प्रतिशत राष्ट्रीय जनता दल, 4 प्रतिशत आम आदमी पार्टी, 5 प्रतिशत बहुजन समाज पार्टी जैसी पार्टियां शामिल हैं.

जहां मौजूदा केंद्र की सरकार किसी राज्य में विपक्ष में है या वहां की सरकार में इसकी कोई भूमिका पक्ष, विपक्ष या गठबंधन के रूप में नहीं हैं वहां यह सीबीआई जैसी संस्थाओं के गैर कानूनी इस्तेमाल से अपने कसर को पूरा कर रही.

एनडीए के पूर्व यूपीए की दो टर्म की सरकार में यूपीए ने इसका इस्तेमाल सिर्फ 55 से 60 फीसदी किया है.

जिसमें अधिकतर मामलों में पाया गया कि सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों में आरोपी पर केस दर्ज सही साबित हुए हैं. आज के समय में मौजूदा सरकार सीबीआई जैसी संस्था को अपने हाथों की कठपुतली बना चुकी हैं.

जहां वो अपना बदला निकालने के लिए कभी किसी विपक्ष की पार्टी तो कभी किसी विपक्ष के नेता पर सीबीआई द्वारा जांच बिठा देती है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here