कृषि मंत्रालय ने स्वीकार किया है कि नोटबंदी की वजह से किसान प्रभावित हुए। संसदीय समिति को भेजे अपने जवाब में मंत्रालय ने ये स्वीकार किया है कि नोटबंदी की वजह से किसानों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।

ऐसे में मोदी सरकार जो नोटबंदी को अपनी सरकार की सफलता बताती रही है, अब उसपर ही सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है कि जब नोटबंदी से नौकरियां चली गईं, मझोले धंधे चौपट हो गए, किसान प्रभावित हो गए तो फिर किस हिसाब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इसको सफल बता रहे हैं?

कृषि मंत्रालय के इस जवाब के बाद विपक्ष PM मोदी पर हमलावर हो गया है.

बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा-

एक बात यह भी है कि प्रधानमंत्री मोदी व्यापारी वर्ग से आते हैं और उनके बारे में कहा जाता है कि उनके खून में व्यापर भरा हुआ है। समय-समय पर पीएम इसको स्वीकार भी करते रहे हैं।

क्या पीएम मोदी ने कभी खेती किसानी नहीं देखी? इसीलिए, इसलिए बुवाई के सीजन में नोटबंदी करके किसानों को बर्बाद कर दिया? क्या पीएम मोदी के खून में व्यापार है, खेती नहीं।

मंत्रालय के रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी की वजह से भारत के लाखों किसान ठंड की रबी फसलों के लिए खाद और बीज नहीं खरीद पाए थे। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब विपक्षी दल कांग्रेस, सपा, बसपा, आप सहित अन्य दल किसानों के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं।

जबकि चुनावी राज्य मध्यप्रदेश में किसान एक बड़ा मुद्दा पहले से ही है। मोदी सरकार के लिए यह रिपोर्ट मुसीबत से कम नहीं है, क्योंकि विपक्षी दल अब पीएम मोदी को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही मध्यप्रदेश के झाबुआ में नोटबंदी को लेकर बयान दिया है कि, काला धन बैंकिंग सिस्टम में वापस लाने के लिए एक ‘कडवी दवा’ थी।

बकौल पीएम मोदी जब नोटबंदी बैंकिंग सिस्टम को सुधारने के लिए कड़वी दवा थी, तो इस कड़वी दावा को उन्होंने पूरे देश को क्यों पिलाया? यही कड़वी दवा पीकर नोटबंदी के दौरान 100 से ज्यादा लोग मर भी गए। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। अब यह कितना भयावह है कि किसान अपनी पूरी फसल ही ना ‘बो’ सकें!

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