इस हफ्ते पैसों के लेनदेन को लेकर दो बड़े ख़ुलासे हुए हैं। एक मामला जेएनयू छात्रसंघ की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला राशिद से जुड़ा है तो दूसरा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से।

शेहला राशिद से जुड़े मामले में पैसों के गबन के आरोप ग़लत साबित हुए हैं, वहीं अमित शाह पर सोहराबुद्दीन एंकाउंटर केस में पैसे लेने के आरोप लगे हैं।

हाल ही में ‘ऑल्ट न्यूज़’ ने इस बात का ख़ुलासा किया है कि शेहला पर कठुआ और उन्नाव के पीड़ितों के लिए जमा किए गए फंड के पैसे खाने के आरोप बेबुनियाद हैं।

वेबसाइट ने गहन पड़ताल के बाद यह दावा किया है कि शेहला ने पीड़ित परिवार के लिए इकठ्ठा किए गए पैसों में कोई गबन नहीं किया। पैसे पीड़ित परिवार तक पहुंच चुके हैं।

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वहीं अमित शाह से जुड़े मामले में यह दावा किया जा रहा है कि उन्होंने 2005 में सोहराबुद्दीन का एनकाउंटर करवाने के लिए पटेल बंधुओं से 70 लाख रुपए लिए थे।

पटेल बंधु वो हैं जिन्हें कथित रूप से सोहराबुद्दीन ने धन उगाही के लिए जान से मारने की धमकी दी थी। अमित शाह के बारे में यह दावा केस से जुड़े पूर्व मुख्य जांच अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने हाल ही में सीबीआई की विशेष अदालत में किया है।

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इन दोनों मामलों पर गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी ने टिप्पणी की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “उन्नाव और कठुआ के पीड़ितों के लिए जमा किए पैसे शेहला राशिद ने खाए यह झूठ है और इस झूठ का पर्दाफाश हो चुका है।

बिलकुल इसी तरह यह बात भी साफ होती जा रही है कि सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड मामले में अमित शाह ने 70 लाख खाये थे और भाजपा के सांसद हरिभाई चौधरी ने एक मामले में पैसे खाये थे”।

बता दें कि अपने ट्वीट में जिग्नेश ने बीजेपी के जिस सांसद का ज़िक्र किया है वह हरिभाई पार्थीभाई चौधरी हैं। पीएम मोदी के करीबी कहे जाने वाले हरिभाई गुजरात की बांसकांठा लोकसभा सीट से सांसद हैं और इनका नाम हाल ही में करोड़ों की रिश्वत लेने के मामले में सामने आया है।

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