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The Economist

ब्रिटेन की मशहूर मैगजीन ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है। मैगजीन ने अपने नए एडिशन में लिखा है कि मोदी एक सहिष्णु, बहुधर्मीय भारत को एक हिंदू राष्ट्र में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

मैगजीन ने ‘इनटॉलरेंट इंडिया’ नाम से कवर पेज स्टोरी प्रकाशित की है। जिसका संस्करण 25 जनवरी को बाजार में आएगा। मैगजीन ने अपने इस संस्करण में मोदी सरकार की नीतियों की विस्तृत समीक्षा करते हुए उसकी आलोचना की है। मैगज़ीन ने लिखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता संशोधन कानून के ज़रिए भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों की अनदेखी कर रहे हैं। वे लोकतंत्र को ऐसा नुकसान पहुंचा रहे हैं, जिसका असर भारत पर अगले कई दशकों तक रह सकता है।

मैगज़ीन के कवर पेज को ‘द इकोनॉमिस्ट’ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया गया है। जिसपर कंटीली तारों के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) का चुनाव चिन्ह ‘कमल का फूल’ नज़र आ रहा है। इसके ऊपर लिखा है, ‘असहिष्णु भारत। कैसे मोदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को जोखिम में डाल रहे हैं।’

मैगज़ीन की इस कवर स्टोरी में लिखा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सहिष्णु व बहुधर्मीय भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने की कोशिशें कर रहे हैं। जिससे भारत में रहने वाले 20 करोड़ मुसलमान डरे हुए हैं। लेख में नागरिकता कानून को मोदी सरकार का सबसे जुनूनी कदम बताया गया है। लेख में कहा गया है कि सरकार की नीतियों ने भले ही मोदी को चुनाव में जीत दिलाने में मदद की हो, लेकिन अब यही नीतियां देश के लिए राजनीतिक जहर साबित हो रही हैं। मैगजीन ने चेतावनी के अंदाज में कहा है कि मोदी की नागरिकता संशोधन कानून जैसी पहल भारत में खूनी संघर्ष करा सकती हैं।

स्टोरी में आगे कहा गया है कि धर्म और राष्ट्रीयता के आधार पर विभाजन ने बीजेपी को मज़बूती दी है और लोगों का ध्यान गिरती अर्थव्यवस्था से हटा दिया है। लेख में बताया गया है कि एनआरसी एक लंबे वक्त तक चलने वाली प्रक्रिया है जिसके जरिए बीजेपी को फायदा होगा। एनआरसी के ज़रिए मोदी ख़ुद को हिंदुओं के रक्षक के रूप में पेश करेंगे।

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