जिस सोशल मीडिया को दुनियाभर में सूचना क्रांति के रूप में देखा जाता है, वह भारत में ऩफ़रत फैलाने का माध्यम बन गया है। इसके ज़रिए धार्मिक भावनाओं को भड़का कर दंगे करवाने की कोशिशें की जा रही है।
ताज़ा मामला उस वक्त देखने को मिला जब भारत में अनुज बाजपेई नाम के एक ट्विटर यूज़र ने सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने के लिए मुसलमानों के धार्मिक ग्रंथ ‘कुरान’ की तुलना चीन में फैले ख़तरनाक कोरोना वायरस से कर डाली।
अनुज ने 10 फ़रवरी को ट्वीट कर लिखा, “याद रखना, ”कोरोना” वायरस से भी भयंकर है ”क़ुरान” वायरस! भारत में 20 करोड़ से भी अधिक संक्रमित!” सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने वाला अनुज का ये ट्वीट दूसरे दिन ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
यूज़र्स इस ट्वीट को रिट्वीट करने लगे। कुछ चरमपंथी अनुज को इस ट्वीट के लिए शाबाशी देने लगे तो कुछ लोग इसपर आपत्ति जताते हुए अनुज को गिरफ्तार किए जाने की मांग करने लगे। गिरफ्तारी की मांग को देखकर अनुज ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया। लेकिन उससे पहले ही उसका ट्वीट स्क्रीनशॉट के ज़रिए वायरल हो चुका था।
कुछ समय बाद ही ट्विटर पर #Arrest_Anuj टॉप ट्रेंड बन गया। इस मामले ने इतना तूल पकड़ा कि दूसरे दिन अनुज को फिर से ट्वीट कर माफी मांगनी पड़ी।
12 फरवरी को अनुज ने अपने भड़काऊ ट्वीट पर सफाई देते हुए लिखा, “मेरे कोरोना वायरस वाले ट्वीट को गलत समझा गया है, मेरा उसे कुरान से जोड़ने का मकसद किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं बल्कि यह बताना है कि मुस्लिम मांस ज्यादा खाते हैं, सतर्क रहें। मांसाहार से ही वायरस ज्यादा फैल रहा है। अगर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुची हो तो क्षमा”।
हैरानी की बात तो ये है कि इस पूरे मामले पर ट्विटर की ओर से कोई बयान, सफाई या कार्रवाई देखने को नहीं मिली। अनुज के इस ट्वीट को जमकर रिट्वीट किया गया और इसके ज़रिए धार्मिक भावनाओं को भड़काने की कोशिश की गई। लेकिन ट्विटर इंडिया इसपर पूरी तरह ख़ामोश रहा।
ट्विटर इंडिया ने न तो अनुज के ट्वीट पर पाबंदी लगाई न उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उसके अकाउंट को बंद किया। ट्विटर की इस ख़ामोशी ने उसको कटघरे में खड़ा कर दिया है। ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर नफ़रत फैलाने वाले अनुज जैसे यूज़र्स के सपोर्ट में खड़ा है?