केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मोदी सरकार द्वारा नोटबंदी के फैसले को देश को ईमानदार बनाने की कोशिश बताया है। उन्होंने कहा कि, इस मामले में संसद में केवल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के अहम की संतुष्टि के लिए बहस नहीं हो सकती।

अब रविशंकर प्रसाद या तो देश को मूर्ख बना रहे हैं या देश को मूर्ख समझते हैं। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे नोटबंदी करते हुए कहा था कि, नोटबंदी से देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और काला धन जैसी चीज़े बंद करने की बात कही थी।

इस बयान के बाद या तो रविशंकर प्रसाद झूठ बोल रहे हैं या तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, क्योंकि पीएम मोदी ने नोटबंदी करते समय आतंकवाद, नक्सलवाद और काला धन बंद करने को बोला था।

लेकिन यहाँ मोदी सरकार के बड़े मंत्री रविशंकर प्रसाद कुछ और ही बात कर रहे हैं। मीडिया से बातचीत करने के दौरान उन्होंने कहा कि, “राहुल गाँधी ने जीएसटी और नोटबंदी का विरोध किया जबकि नोटबंदी देश को ईमानदार बनाने की कोशिश थी।

जब आप देश को ईमानदार बनाने की कोशिश करते हैं तो देश की जनता भी टैक्स देकर इसका अभिवादन करती है।”

मोदी सरकार भले ही नोटबंदी के फैसले को सही साबित करने में लगी हो या उसे ग़लत मानने को तैयार न हो। लेकिन, नोटबंदी से जुड़े लोगों ने मोदी सरकार के इस कदम को ग़लत बता चुके हैं।

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के बाद अब पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने नोटबंदी को मोदी सरकार का काफी सख्त और अर्थव्यवस्था को झटका देने वाला फैसला बताया है।

उन्होंने कहा कि इससे जीडीपी ग्रोथ रेट सात महीने के सबसे निचले स्तर 6.8% पर पहुंच गई थी, जबकि नोटबंदी से पहले यह 8% थी।

ये बातें सुब्रमण्यन ने नोटबंदी पर लिखी अपनी किताब ‘ऑफ काउंसिल: द चैलेंजिस ऑफ मोदी-जेठली इकोनोमी’ में कही हैं, कि नोटबंदी देश पर एक बहुत बड़ा मौद्रिक झटका था। रविशंकर प्रसाद राहुल गाँधी को संसद में संतुष्ट करने की बात जो कह रहे हैं दरअसल, बात उससे कहीं अधिक बड़ी है।

नोटबंदी का फैसला पूरे देश की 125 करोड़ जनता से जुड़ा है जिसकी वहज से लोगों ने एटीएम की लइनों में लग कर अपनी जान गवां दी। लाखों लोगों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा, छोटे एवं मझोले उद्योग चौपट हो गए।

बावजूद इसके या इतना सब कुछ होने के बाद भी रविशंकर प्रसाद ये कह रहे हैं कि, “नोटबंदी का कदम को देश को ईमानदार बनाने की कोशिश है।” यह कितना गैरजिम्मेदाराना, बेतुका और ना समझी भरा बयान है!

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