उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के विरोध को दबाने के लिए पुलिस की हैवानियत ने हद पार कर दी है। आरोप है कि पुलिस ने मदरसे के बेक़सूर बच्चो के प्राइवेट पार्ट में डंडे डाले और रूह कँपा देने वाली यातनाएँ दी।
सत्यहिंदी की एक खबर के मुताबिक, नागरिकता कानून के विवाद को लेकर बीते दिनों पुलिस ने यूपी के मुज़फ्फरनगर के मदरसे के अध्यापक को नंगा करके बेहरहमी से पीटा था जिसके बाद 66 वर्षीय मौलाना असद रज़ा हुसैनी के दोनों हाथ और पैर टूट गए थे और पूरे शरीर पर लाठी-डंडो के निशान थे और पुलिस का मन जब इमाम साहब की पिटाई से नहीं भरा तो पुलिस मदरसे के 14 से 21 साल के 100 बच्चो को उठा कर ले गयी जिनमे से कुछ अनाथ भी थे।
योगी की बेरहम पुलिस ने इन बच्चों हिरासत में रखकर पूरी रात बुरी तरह लाठियों से पीटा और उन्हें गंदी-गंदी गालियाँ दी। कड़कड़ाती ठंड में पुलिस ने इन बच्चो को दीवार से सटकर घुटनों के बल बैठने को मज़बूर किया।
स्थानीय लोगों ने जब इन बच्चो के रिहा होने के बाद जब इन बच्चों से बात की तो बच्चों ने बताया कि पुलिस ने हमे रात को टॉइलेट भी नहीं जाने दिया और जय श्रीराम बोलने को मज़बूर किया।
स्थानीय लोगों के अनुसार जब बच्चे जेल से छूटे तो वह पूरी तरह खून से लथपथ थे उनके प्राइवेट पार्ट से भी खून आ रहा था। पुलिस ने वकीलों को भी बच्चों से नहीं मिलने दिया।
कल तक दुष्कर्म पर शोर मचाने वाले सत्ता पक्ष के तमाम लोग आज बच्चों के साथ हुई इस हैवानियत पर चुप हैं। आखिर ऐसा क्या जुर्म था इन बच्चो का जो पुलिस ने इन पर हिटलर की सेना से ज्यादा बर्बरता की ?