संशोधित नागरिकता कानून को लेकर भड़की हिंसा के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस जिस तरह कार्रवाई कर रही है उसको लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं। ये आशंकाएं क्यों हैं, इसका जवाब ख़ुद यूपी पुलिस ने अपनी एक कार्रवाई के ज़रिए दिया है।
दरअसल, पुलिस ने फिरोज़ाबाद में शांति के लिए ख़तरा बताते हुए एक ऐसे शख्स को नोटिस भेज दिया है, जिसकी छह साल पहले मौत हो चुकी है। जिस मृत शख्स को नोटिस भेजा गया है उनका नाम बन्ने खां है। बन्ने खां के परिजनों का कहना है कि उनके घर एक नोटिस आया है, जिसमें लिखा है कि, ‘‘बन्ने खां को सिटी मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना है और 10 लाख रुपए का मुचलका भरकर जमानत लेनी होगी।’’
बन्ने खां के बेटे मोहम्मद सरफराज खान ने अंग्रेज़ी अखबार द टेलीग्राफ को बताया, “मेरे पिता, जो छह साल पहले गुजर चुके हैं, पर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 107 और 116 के तहत मामला दर्ज किया है क्योंकि उन्हें लगता है कि वे सार्वजनिक शांति भंग कर सकते हैं”।
सरफराज ने बताया कि नोटिस में लिखा है कि उनके पिता को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होना होगा और सात दिन के अंदर जमानत लेनी होगी वरना उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने अपने पिता का डेथ सर्टिफिकेट दिखाया तो उन्होंने मुझे डांट दिया गया”।
ग़ौरतलब है कि पिछले दिनों नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ लखनऊ, मेरठ और मुजफ्फरनगर समेत यूपी के कई ज़िलों में प्रदर्शन के दौरान हिंसक घटनाएं सामने आई थीं। ऐसी ही हिंसक घटनाओं से बचने के लिए पुलिस द्वारा शांति भंग कर सकने वाले लोगों को सूचीबद्ध किया गया। इन लोगों पर सीआरपीसी की धाराओं के तहत मामला दर्ज होता है और इन्हें निजी मुचलके पर जमानत लेनी होती है।
फिरोजाबाद में भी शांति भंग न हो, इसके लिए यूपी पुलिस ने करीब 200 लोगों की पहचान कर उन्हें नोटिस जारी किया था। इन्हीं 200 लोगों में बन्ने खां के अलावा 90 और 93 साल के दो बुजुर्गों के नाम भी शामिल हैं। लिस्ट में शामिल 90 वर्षीय सूफी अंसार हुसैन पिछले 58 सालों से फिरोजाबाद की जामा मस्जिद में खिदमत कर रहे हैं और दूसरे बुजुर्ग हैं 93 वर्षीय फसाहत मीर खां, जो कई सालों से समाज सेवा का कम कर रहे हैं।