लोकसभा चुनाव में भले अभी देरी हो मगर बिहार में सियासी उठापठक का खेल शुरू हो चुका है। पिछले कुछ महीनों के सभी अटकलों के बाद अब आखिरकार उपेन्द्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया है।

कुशवाहा ने ये फैसला तब लिया जब पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने वालें है, और एग्जिट पोल में बीजेपी के हाथ से सत्ता जाती नज़र आने लगी।

दरअसल उपेन्द्र कुशवाहा ने लोकसभा सत्र के एक दिन पहले ही एनडीए को तगड़ा झटका दिया है। कुशवाहा का इस्तीफा एक तीर से दो निशाना कहा जा रहा है। इस इस्तीफे का असर बीजेपी के साथ बिहार की सत्ता में बैठे नीतीश कुमार पर पड़ेगा।

कुशवाहा ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं जबरदस्त आशा और उम्मीदों के साथ आपके नेतृत्व में एनडीए का साथ पकड़ा था।

2014 को लोकसभा चुनाव में  आपने बिहार के लोगों से जो भी वादे किए थे, उसी को देखते हुए मैंनै अपना समर्थन बीजेपी को दिया था।

गौरतलब हो कि जब बिहार में नीतीश कुमार के साथ बीजेपी ने सरकार बनाई तभी से कुशवाहा को दरकिनार किया जाने लगा था।

बीजेपी का मानना था कि कुशवाहा समाज का 70 प्रतिशत वोट नीतीश कुमार के नाम पर महागठबंधन को मिला वहीं एनडीए को उन्हीं सीटों पर इस समाज का वोट मिला जहां इस जाति के उम्मीदवार थे।  

इसके बाद नीतीश कुमार ने भी उपेन्द्र कुशवाहा का ज़िक्र आने पर एक कार्यक्रम में कुशवाहा को लो स्टैण्डर्ड जैसी भाषा का प्रयोग किया था।

जिसके बाद से ये चर्चा शुरू हो गई थी की उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए में अपमानित महसूस कर रहें है और कभी भी एनडीए का साथ छोड़ सकते है। आख़िरकार आज उन्होंने इसकी घोषणा कर ही दी और एनडीए को झटका दिया है 

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