आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाकर फायर सेफ्टी विभाग का डीजी बनाए जाने पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है। अब पत्रकार विनोद कापड़ी ने इसपर सवाल खड़े करते हुए केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “सेलेक्ट पैनल ने आलोक वर्मा के ख़िलाफ़ जिन आरोपों को प्रथम दृश्ट्या सही माना है, उस आधार पर तो आलोक वर्मा को फ़ायर सर्विस का डीजी होने के बजाय तिहाड़ में होना चाहिए।
क्या सरकार जवाब देगी कि एक “भ्रष्टाचारी” जब CBI Director नहीं हो सकता तो DG Fire services कैसे हो सकता है”?
आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाने का फैसला गुरुवार को पीएम मोदी के आवास पर हुई सेलेक्ट कमेटी की बैठक में लिया गया।
तकरीबन ढ़ाई घंटे तक चली इस बैठक में पीएम मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस एके सीकरी और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल रहे।
CBI निदेशक के पद से हटाए गए आलोक वर्मा ने DG फ़ायर सर्विस बनने से किया इंकार
हालांकि बैठक में खड़गे ने आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने का विरोध किया। लेकिन पीएम मोदी और जस्टिस सीकरी वर्मा को हटाने के पक्ष में रहे। इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए खड़गे ने कहा कि सेलेक्ट कमिटी की मीटिंग से पहले ही ट्रांसफर का फैसला ले लिया गया था।
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को उनके पद पर बहाल कर दिया था। उन्हें सरकार ने करीब दो महीने पहले जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। अधिकारियों ने बताया कि इस मुद्दे पर कमेटी की यह दूसरी बैठक है। इससे पहले बुधवार को हुई बैठक बेनतीजा रही थी।
आलोक वर्मा बोले- CBI को बर्बाद होने से बचाना होगा, मैंने कोशिश की मगर मुझे ही हटा दिया गया
77 दिन बाद सीबीआई मुख्यालय पहुंचे सीबीआई चीफ़ फौरन एक्शन में आ गए थे। उन्होंने उनकी ग़ैरमौजूदगी में किए गए सारे ट्रांसफ़र रद्द कर दिए थे। ये सारे ट्रांसफ़र ऑर्डर एम नागेश्वर राव ने दिए थे। जो वर्मा की ग़ैरमौजूदगी में सीबीआई के अंतरिम निदेशक बनाए गए थे।
सीबीआई चीफ़ ने आज 10 जनवरी को अपने ऑफ़िस के दूसरे दिन ताबड़तोड़ पांच अधिकारियों के तबादले भी किए हैं।