प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार बनने से पहले कहा था कि वो आपके अच्छे दिन ला देंगे! और तो और उनकी पूरी कैबिनेट के मंत्री यह कहते नहीं थकते कि जनता के अच्छे दिन सिर्फ मोदी सरकार ही ला सकती है।

तभी पीएम मोदी ने भारत में रहने वाले लोगों के अच्छे दिन लाने के लिए 60 महीने मांगे थे। 60 महीने बहुत होते हैं यानि की पूरे 5 साल। कुछ ही महीनों में अपने कार्यकाल के 5 वर्ष पूरे करने वाली मोदी सरकार अच्छे दिन लाने में कितना सफल रही है?

क्या ये सिर्फ एक जुमला भर है? या अच्छे दिन सिर्फ भाजपा के लिए होकर रह जाएगा? अच्छे दिन का मतलब हुआ जनता की खुशहाली! तो क्या आपके अकाउंट में मोदी वादा के तहत 15 लाख रुपए आ गए?

आज देश में पेट्रोल-डीजल सस्ते दामों पर बिक रहा है? मोदी सरकार के इन पांच सालों में किसान अबतक के इतिहास में सबसे खुशहाल हैं? महिलाएं सुरक्षित हैं? क्या अब नारी पर वार नहीं हो रहा है?

इन बातों का जिक्र इसीलिए किया जा रहा है क्योंकि पीएम मोदी ने खुद इन सभी चीजों को जनता को देने का वादा किया था। आखिर यही तो हैं अच्छे दिन! अगर मोदी सरकार के अबतक के कार्यकाल को देखें तो पाएंगे कि इस सरकार में लव जिहाद से लेकर गाय तक आ गई, लेकिन लोगों के अच्छे दिन अभी तक नहीं आए! ऐसा क्यों हो रहा है?

इसका जवाब ढूंढने पर मिलेगा की भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार ने अपने कार्यकर्ताओं को ‘लव जिहाद’ और ‘गोरक्षा’ जैसे भाजपाई अभियानों के नाम पर लोगों को मारने की खुली छूट दे रखी है। जो खुद ही पुलिस और कोर्ट बनके मौके पर ही फैसला दे देते हैं। लोगों को मारने की इनमें इतनी हिम्मत कहाँ से आती है?

कहीं न कहीं गोरक्षा के नाम पर निर्दोषों को मारने वालों को ये विश्वाश है कि वो कानून के हाथ से बच जाएंगे। ऐसे में जब सत्ताधारी पार्टी के लोग ही देश में इस तरह की अराजकता और डर का माहौल बनाएंगे तो लोगों के अच्छे दिन कहाँ से आएंगे?

भारतीय जनता पार्टी ने केंद्र में मोदी सरकार बनते ही हिन्दू लड़कियों को ढाल बनाते हुए महिला सुरक्षा के नाम पर उत्तर भारत में ‘लव जिहाद’ का शिगूफा छेड़ दिया, खासकर देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में इसका खासा असर देखने को मिला। राह चलते युवक-युवतियों को पकड़कर मारा-पीटा गया, उनकी विडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल किया गया।

यहाँ तक कि बाइक पर जाते भाई-बहनों और पति-पत्नी को भी नहीं बक्शा गया! उनका आईडी कार्ड देखने के बाद ही उनको छोड़ा जाता था। लव जिहाद के नाम पर कपल्स की शिनाख्त करके मुस्लिम युवकों को मारा-पीटा गया। ऐसा लगा जैसे भाजपा सरकार की फाइल में महिला सुरक्षा के नाम पर सिर्फ ‘हिन्दू महिलाएं’ थीं!

मुस्लिम महिलाओं की उसे चिंता तब हुई जब उसे लगा कि इस तबके की महिलाओं से भी हमें वोट मिल सकता है। इसीलिए ‘तीन तलाक’ के समर्थन में भाजपा उतर गई। भाजपा और सरकार का लव जिहाद से मकसद ही हिन्दू युवाओं को लामबंद करने अपनी राजनीती के लिए इस्तेमाल करना था।

भाजपा का लव जिहाद के लिए तत्परता देखने के बाद उसकी महिला सुरक्षा तब खोखली साबित हो जाती है जब बलात्कार का आरोपी ‘बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर’ को पार्टी बर्खास्त नहीं करती। कठुआ में 8 साल की बच्ची आसिफा के साथ रेप होने पर जब बीजेपी नेता बलात्कार आरोपियों के समर्थन में जुलुस निकालते हैं।

हाल ही में विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर के ऊपर लगभग 20 महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया। लेकिन मोदी सरकार ने अकबर को अपने मंत्रिमंडल में बनाए रखा! विपक्ष और मीडिया के भारी दबाव को देखते हुए आखिरकार पीएम मोदी ने एमजे अकबर से इस्तीफा लिया। पीएम मोदी के अच्छे दिन सिर्फ बीजेपी नेताओं के लिए खुले हुए हैं बाकि सभी के लिए बंद है।

यानि मोदी वादा ‘अच्छे दिन’ यहाँ पर फेल होता दिखाई देता है, क्योंकि पीएम मोदी के अच्छे दिनों का मतलब है पूरे भारत के लोगों के अच्छे दिन लाना, लेकिन इस अच्छे दिन की शुरुआत में ही लोगों को हिन्दू-मुस्लिम में बाँट दिया गया। हिन्दुओं में भी सिर्फ कुछ जातियों और खुद भाजपा को ध्यान में रखकर अन्य धर्मों और जातियों के लोगों को ‘बुरे दिन’ देखने के लिए छोड़ दिया गया।

अच्छे दिन की आस दिखाकर गौरक्षा के नाम पर अखलाख और पहलू खान की हत्या- इसके बाद भाजपा ने लोगों को धर्म के आधार पर बांटकर गाय बचाने का अभियान जोर-शोर से उठाया। इस तरह 28 सितंबर 2015 को दादरी में गाय के नाम पर उन्मादी भीड़ ने अखलाख नाम के शख्स की हत्या की।

इसके बाद तो जैसे इंसानों से ज्यादा कीमती गाय का जीवन हो गया। इसके बाद गाय के नाम पर कई लोगों को मारा गया। इस मामले में दूसरी घटना राजस्थान में घटी जहाँ गाय के नाम पर भीड़ ने पहलू खान को मौत के घाट उतार दिया। फिर राजस्थान के ही अलवर में रकबर को मार दिया गया।

इन घटनाओं में साफ़ तौर पर सत्तापक्ष की भागीदारी देखने को मिली। दादरी में भाजपा के नेता अभियुक्तों से मिलने पहुंचे। पहलू खान हत्या के मामले में भी पुलिस और सरकार की मिलीभगत साफ़ देखने को मिली। क्योंकि इस केस में पुलिस ने 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

मगर बाद में पुलिस ने जांच में इसमें से 6 लोगों को यह कहकर क्लीन चिट दे दी कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले! जबकि पहलू को मारे जाने वाले विडियो में आरोपी साफ़ पहचाने जा सकते थे। इस तरह भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार के शब्दकोष में ‘अच्छे दिन’ के सिवा उसमें सांप्रदायिकता, कट्टरता, लव जिहाद जैसे गिने-चुने ही समा पाते हैं।

  • अभिनव यादव 

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