राफेल विमान खरीद में भ्रष्टाचार की जांच को लेकर कल सुप्रीम कोर्ट में लंबी बहस चली. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ ने कल इस मामले की सुनवाई की.

लेकिन इस गंभीर मामले में कई बार ऐसा समय आया जब सुनवाई दौरान फिल्मी डायलॉगबाजी हुई. इस डायलॉगबाजी में सरकार और वायुसेना की भूमिका अहम रही.

ऐसा हम इसलिए कह रहें है क्योंकि कल सुप्रीम कोर्ट से आई कुछ ऐसी सुचनाओं ने फिल्मों में बोले गए फिल्मी डायलॉक की याद करा दी.

इसी कड़ी में सरकार की ओर से मोर्चा संभाल रहे अटार्नी जनरल (महान्यायवादी) के के वेणुगोपाल ने कल राफेल की सुनवाई के दौरान करगिल युद्ध को याद करते हुए कहा कि यदि कारगिल युद्ध में हमारे पास राफेल विमान होते तो हमारे जवानों की जान नहीं जाती.

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राफेल 60 किलोमीटर दूर से ही पहाड़ी की चोटीयों को निशाना बनाता. इस पर चीफ जस्टिस ने अटार्नी जनरल को जवाब देते हुए कहा कि श्रीमान अटार्नी जरनल करगिल 1999-2000 में हुआ था और राफेल राफेल 2014 में आया है.

चीफ जस्टिस के इस जवाब के बाद अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने हंसते हुए कहा कि मेरा मतलब काल्पनिक स्थिति से था.

इसी के साथ ही डायलॉगबाजी का एक मौका तब और आय जब इस विवाद में वायु सेना का पक्ष रखने के लिए कोर्ट के निर्देश पर आए वायुसेना के आला अफसरों को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जाने के लिए निर्देश देते हुए कहा कि अदालत में अलग तरह की लड़ाई होती है.

एयर मार्शल्स वापस वास्तविक वॉर रूम में जा सकते हैं. साथ ही प्रशांत भूषण को भी कोर्ट में ज्यादा बोलने पर कल चीफ जस्टिस ने फटकार लगा दी. चीफ जस्टिस ने प्रशांत भूषण से कहा कि अपसे जितना पूछा जाए कोर्ट में उतना ही बोलें.

आपको बता दें कि राफेल डील में बड़ते विवाद की जांच हो या नहीं इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट द्वारा किया सुरक्षित रख लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है.

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इस मामले में याचिकार्ताओं की प्रमुख मांग इस विवादित डील को रद्द कर डील में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने की है. इस मामले में अधिवक्ता विनीत ढांडा, आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह समेत पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिंहा, अरूण शौरी और अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भी एक संयुक्त याचिका दायर की है.

इसी बीच राफेल डील में शामिल सबसे अहम राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन के सीईओ द्वारा समाचार एजेंसी एएनआई को दिया गया इंटरव्यू देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. सीईओ एरिक ट्रैपियर ने मोदी सरकार को इस मामले में अपनी ओर से क्लीनचिट दी है और कहा है कि डील में कुछ भी गड़बड़ नहीं है.

मैंने पहले जो बयान पहले दिया था वही सच है. मेरी झूठ बोलने की छवि नहीं है. सीईओ के रूप में मेरी स्थिति में आप झूठ नहीं बोल सकते हैं.

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दरअसल राफेल डील पर कांग्रेस और विपक्ष कई दिनों से सवाल उठा रहें है. मोदी सरकार पर विपक्षियों ने आरोप लगाया है कि हर विमान को करीब 1670 करोड़ रुपये खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार ने 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी उसने इसे प्रतिविमान 526 करोड़ में अंतिम रूप दिया था.

साथ ही समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में सीईओ एरिक ट्रैपियर द्वारा मोदी सरकार को क्लीनचिट दिए जाने के बाद कांग्रेस की तरफ से प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने दसॉल्ट पर आरोप लगाते हुए कहा कि इंटरव्यू फिक्सड है, बनावटी झूठ से सच नहीं दब जाता फ़ायदा लेने वाला और आरोपी- जज कैसे हो सकते हैं?

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