भगौड़े शराब कारोबारी विजय माल्या का नाम सुनते ही आपका मन ग़ुस्से से भर जाता होगा। मन में तरह-तरह के ख़याल आते होंगे कि जैसे भी हो उसे हर हाल में भारत वापस लाना चाहिए, और उससे पाई-पाई वसूलना चाहिए।

आपका ये ग़ुस्सा, ये नाराज़गी जायज़ है। होनी भी चाहिए, आख़िर विजय माल्या देश के सरकारी बैंको का 9 हज़ार करोड़ रुपये लेकर रफ़ूचक्कर जो हो गया है, वो भी इंडिया से बहुत दूर…. हज़ारों मील दूर।

लेकिन क्या आप जानते हैं, कि बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष और नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी ने भगौड़े माल्या को चोर कहने पर सख़्त ऐतराज़ जताया है?

जी हाँ बिलकुल सही सुन रहे है आप, नितिन गडकरी को उसे न सिर्फ़ चोर कहने पर ऐतराज़ है बल्कि बेशर्मी की हदें पार करते हुए उन्होंने उसे माल्या ‘जी‘ भी कहा है।

क्या कहा है केंद्रीय मंत्री ने-

मोदी सरकार में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ज़िम्मेदारी संभाल रहे नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा है कि, “उनका (माल्या का) पिछले 4 दशकों से लोन चुकाने का रिकॉर्ड रहा है, एक बार क़र्ज़ न चुका पाने की वजह से ‘माल्या जी’ को चोर कहना सही नहीं है।“

TIMES GROUP के INDIA ECONOMIC CONCLAVE में बोलते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि, महाराष्ट्र सरकार की इकाई सिकॉम ने माल्या को 40 साल पहले क़र्ज़ दिया था, जिसका भुगतान उन्होंने ने समय पर किया।

40 साल बाद जब विजय माल्या एविएशन क्षेत्र में आया तो उसे आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ा जिसकी वजह से वो लोन नहीं चुका पाया।

केंद्रीय मंत्री ने सवालिया लहजे में कहा, कि जो व्यक्ति 50 सालों से लोन चुका रहा हो, ब्याज भर रहा हो तो ठीक है, पर एक बार डिफ़ॉल्ट हो गया तो तुरंत सब फ़्रॉड हो लगा? ये सही मानसिकता नहीं है।

अपने समर्थन में गडकरी के दिए गए इस बयान से गदगद विजय माल्या ने इस बयान को रिट्वीट भी किया।

नितिन गडकरी ने आगे कहा कि कारोबार कोई भी हो, उसमें उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। अगर अर्थव्यवस्था में आर्थिक या वैश्वक किसी भी वजह से जैसे मंदी की वजह से जो व्यक्ति परेशानी का सामना कर रहा हो, तो उसका समर्थन करना चाहिए।

मंत्री के बयान पर पत्रकार का पलटवार-

नितिन गडकरी के इस बयान पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि, ”ब्राह्मणों से सबको जातिवाद सीखना चाहिए। किसी ब्राह्मण ने माल्या को चोर नहीं कहा। अब तो माल्या जी कहने लगे हैं।”

दिलीप मंडल आगे लिखते हैं कि, ”माल्या के विदेश भागने से ब्राह्मणों के अहंकार को ठेस पहुँची है। वे उसे सम्मान भारत लाएंगे। चाहे इसके लिए देश के ख़ज़ाने से चोरी-छिपे उसे अरबों रुपये फिर से क्यों न देने पड़ें। वह इस पैसे से क़र्ज़ा चुकाएगा और भारत लौटेगा।”

ग़ौरतलब है कि विजय माल्या देश के सरकारी बैंकों को 9 हज़ार करोड़ रुपये लेकर फ़रार है, जिसके भारत प्रत्यर्पण का आदेश हाल ही में लंदन की एक अदालत ने दिया है।

ये तमाम सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि इसी देश में एक सीएम को चराचोर कहकर बुलाया जाता है वो भी इसलिए कि उसके कार्यकाल में पशुधन विभाग में घोटाले हुए। 

यहाँ गौर करने की बात है कि ये घोटाला लालू यादव के कार्यकाल शुरू होने से बहुत पहले से हो रहा था और जनता दल की सरकार बनने के बाद भी चलता रहा।

कोर्ट ने लालू को घोटाला रोकने में नाकाम और साजिशकर्ता के रूप में देखा और सजा दिया मगर जातिवादी समाज ने अपनी भड़ास अलग से निकाली। जब तक कोई आरोप नहीं सिद्ध हुआ था तभी से उन्हें चराचोर कहकर बुलाना शुरू कर दिया। 

अब ये वही लोग हैं जो देश को हजारों करोड़ का चूना लगाकर विदेश भाग जाने वाले माल्या को ‘चोर’ कहने से आपत्ति जता रहे हैं। 

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