तस्वीर देखिए… कश्मीर से अक्सर ऐसी तस्वीर आती है जिसे टीवी चैनल आपको दिखाते हुए इसमें शामिल प्रदर्शनकारियों को पत्थरबाज़ से लेकर पाकिस्तान परस्त तक बता देते हैं। लेकिन ये तस्वीर कश्मीर नहीं बल्कि केरल की है।

और ये लोग बीजेपी-आरएसएस के बुलावे पर प्रदर्शन कर रहे हैं ताकी सबरीमाला मे सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला किसी भी सूरत में प्रभावी न हो सके। और महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाज़त कभी न मिल सके। आरएसएस-बीजेपी से समर्थन प्राप्त ये हिंसक प्रदर्शनकारी, लाठियाँ भाँज रहे हैं। दुकानों पर हमले कर रहे हैं। बसों को आग के हवाले कर रहे हैं।

लेकिन अब कोई चैनल, इन्हें हिंसक, सरकार के विरुद्ध, सुप्रीम कोर्ट के विरुद्ध नहीं बताएगा। क्योंकि ये कश्मीरी नहीं हैं। … बल्कि ये सब भगवान के भक्त हैं।

और शायद भक्तों को आस्था के नाम पर कुछ भी करने की इजाज़त है। वर्ना जो हिंसा कश्मीर में ग़लत है वो केरल में भी ग़लत ही है। उसे किसी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है।

वैसे जब देश का पीएम ही सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को दरकिनार कर, Gender equality को दरकिनार कर सबरीमाला को आस्था का विषय बता दे। तो फिर ऐसी उग्र ताक़तों का उत्पात मचाना लाज़मी है।

सबरीमाला मंदिर में पचास साल से कम उम्र की दो महिलाओं के प्रवेश के बाद 3 दिसम्बर को संघ परिवार की तरफ़ से आयोजित बंद के नाम पर केरल में पर क़ानून का जमकर माख़ौल बनाया गया।

हिंसक, झड़पें, पुलिस पर पथराव और पत्रकारों को धमकाने तक के मामले सामने आए। इसके बाद सीएम पीनाराई विजयन ने साफ़ शब्दों में कहा था कि, आरएसएस राज्य को वॉर ज़ोन बना रहा है

इन सारी घटनाओं में सबसे ज़्यादा नुक़सान उत्तरी केरल के पलक्कड़ को उठाना पड़ा। यहाँ संघ परिवार से जुड़े हिंसक लोगों ने राज्य सरकार द्वारा संचालित सरकारी बसों, प्राईवेट बसों कारों, दुकानों में हमले किए। इस दौरान उन्होंने पुलिस वैन को भी नहीं छोड़ा। जगह-जगह खड़ी पुलिस वैन को निशाना बनाया गया और लाठियों से उनके शीशे चकनाचूर कर दिए गएँ।

दक्षिणपंथी समूहों से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने ख़ूब पथराव भी किया। जिसमें विभिन्न संपत्तियों को काफ़ी नुक़सान हुआ है। इन संपत्तियों में सीपीएम और सीपीआई की संपत्तियाँ शामिल हैं।

अपने संपत्तियों पर हमला होते देख सीपीआई और सीपीएम के कार्यकर्ता भी सड़क पर उतर आएँ इस दौरान दोनों पक्षों में जमकर लाठियाँ भाँजी गईं।

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