
देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब इतना घबरा गई है कि उसे एक मासूम की काली जैकेट भी विरोध का प्रतीक नज़र आ रही है। विरोध के डर से असम में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के एक कार्यक्रम में सुरक्षाकर्मियों ने एक तीन साल के बच्चे की काली जैकेट उतरवा दी।
मामला असम के बिस्वनाथ ज़िले का है। जहां 29 जनवरी को सीएम सर्बानंद सोनोवाल की रैली थी। इस रैली में एक महिला अपने तीन साल के बच्चे के साथ पहुंची थी। बच्चे ने काले रंग की जैकेट पहनी हुई थी। जिसे देखकर सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोक लिया और विरोध के डर से कड़ाके की ठंड के बावजूद महिला से बच्चे की जैकेट उतारकर रैली में शामिल होने को कहा।
इस मामले का वीडियो भी सामने आया है। जिसमें मां रोते हुए अपने बच्चे की जैकेट उतारती हुई नज़र आ रही है। जिसके बाद कड़ाके की ठंड में बच्चा सिर्फ एक बनियान में नज़र आ रहा है। इस मामले का जब वीडियो वायरल हुआ तो सरकार की जमकर आलोचना हुई। जिसके बाद सीएम ने इस मामले की जांच के आदेश दिए।
Assam CM Sarbananda Sonowal directs State DGP Kula Saikia to probe incident where a toddler was reportedly forced to open his black sweater at a function attended by the CM at Borgang in Biswanath today amid the spectre of black flag protests. pic.twitter.com/KtwmPCF8Fw
— Nandan Pratim Sharma Bordoloi ?? (@NANDANPRATIM) January 29, 2019
महिला ने स्थानीय पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “मेरा तीन साल का बच्चा काली जैकेट पहने हुए था। सुरक्षा बलों ने उसे जैकेट पहनकर परिसर में जाने की अनुमति नहीं दी। सुरक्षा बलों ने मुझसे उसकी जैकेट उतारने को कहा”।
दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों से असम में नागरिकता संशोधन बिल के ख़िलाफ़ सीएम सोनोवाल और दूसरे बीजेपी मंत्रियों को कई सार्वजनिक मौके पर काले झंडे दिखाए जा रहे हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी को अब हर जगह विरोध का डर सताने लगा है, जिसकी वजह से बच्चे तक की जैकेट उतरवा दी गई।
क्यों हो रहा है नागरिकता संशोधन बिल का विरोध?
दरअसल, इस बिल में मुस्लिमों के सिवा बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, जैनों, ईसाईयों, सिखों, बौद्धों और पारसियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
वहीं मिजोरम को डर है कि इस कानून का फायदा बांग्लादेश के चकमा बौद्ध उठा सकते हैं। वहीं मेघालय और नगालैंड को बंगाली शरणार्थियों की बहुलता की आशंका है। इन तमाम फैक्टर्स के चलते इस बिल का विरोध किया जा रहा है।