इस देश के प्रधानमंत्रियों का एक चीज बड़ी कॉमन सी रही है खुद को ज़मीन से जुड़ा बताना और जताने की कोशिश करते रहना वो हम में से है। मगर ऐसा होता है नहीं है पीएम मोदी ने जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जो विश्व में पहले ऐसे नेता थे जिन्हें एक आत्मघाती (सुसाइड बॉमर) के जरिए से मारा गया था।
पीएम मोदी ने कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा कि मैं कांग्रेस से कहना चाहूंगा की वो राजीव गांधी के नाम पर चुनाव लड़े। राजीव गांधी को गुजरे दो दशक से भी ज़्यादा का वक़्त हो गया। अब उनका जिक्र क्यों? इसके पीछे की वजह है बार बार कांग्रेस पार्टी का राफेल डील को मुद्दे पर चर्चा करते रहना।
कांग्रेस ने अपना चुनाव अभियान ‘चौकीदार चोर है’ के नारे से मशहूर कर दिया है। पीएम मोदी के पिछले पांच साल के चुनाव प्रचार पर नज़र डाले तो उसमें उन्होंने कई विधानसभा चुनाव में जीत दिलाई तो कई राज्यों में जमी जमाई सरकार तक चली गई। हर विधानसभा चुनावों में नेहरु-गांधी फैमिली मुद्दा बनती रही।
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सत्ता में आने से पहले वाड्रा को जेल भेजने की बात कहने वाली बीजेपी ने अंतिम के कुछ सालों में ऐसा दिखाने की कोशिश की है वो एक्शन ले रही है, मगर ऐसा है नहीं। पीएम मोदी नेहरु-गांधी परिवार पर निशाना साधकर एक कॉमन टारगेट खोज लेते है।
शुरुआती चुनावों में सरदार पटेल और जवाहर लाल नेहरु के बीच मतभेद को मुद्दा बनाया गया। फिर गुजरात चुनाव में इंदिरा गांधी के मुंह ढक के जाने वाली बात कहकर गुजराती अस्मिता को जगाकर गुजरात की नैय्या पार लगाई थी।
मगर पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव हारने के बाद बीजेपी कोई रिस्क नहीं ले सकती है। इंतजार बस इस बात का है कि पीएम मोदी नेहरु-इंदिरा और राजीव गांधी तक पहुंच चुके है मगर अब उनका अगला निशाना कौन होगा? ये देखना दिलचस्प होगा।
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फ़िलहाल दो तस्वीर है और दोनों ही तस्वीरों में एक बात सामान है. वो है दोनों शख्स का चाय का मजा लेना। एक तरफ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी है। जिनपर बोफोर्स घोटाले का दाग है और दूसरी तरफ देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है जिनपर राफेल डील में घोटाला करने का आरोप लगा है।