ravish kumar
Ravish Kumar Article on Citizenship Amendment Bill

एक देश एक कानून की सनक का क्या हाल होता है उसकी मिसाल है नागरिकता बिल। जब यह कानून बनेगा तो देश के सारे हिस्सों में एक तरह से लागू नहीं होगा। पूर्वोत्तर में ही यह कानून कई सारे अगर मगर के साथ लागू हो रहा है। मणिपुर में लागू न हो सके इसके लिए 1873 के अंग्रेज़ों के कानून का सहारा लिया गया है। वहां पहली बार इनर लाइन परमिट लागू होगा। अब भारतीय परमिट लेकर मणिपुर जा सकेंगे।

इसके बाद भी मणिपुर में इस कानून को लेकर जश्न नहीं है। छात्र संगठन NESO के आह्वान का वहां भी असर पड़ा है। अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और नागालैंड में यह कानून लागू नहीं होगा। असम और त्रिपुरा के उन हिस्सों में लागू नहीं होगा जहां संविधान की छठी अनुसूचि के तहत स्वायत्त परिषद काम करती है। सिक्किम में लागू नहीं होगा क्योंकि वहां अनुच्छेद 371 की व्यवस्था है।

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देश ऐसे ही होता है। अलग अलग भौगोलिक क्षेत्रों के लिए अलग कानून की ज़रूरत पड़ती है। भारत ही नहीं दुनिया भर में कानूनों का यही इतिहास और वर्तमान है। एक देश के भीतर कहीं कानून भौगोलिक कारणों से अलग होता है तो कहीं सामुदायिक कारणों से। इन ज़रूरतों के कारण प्रशासनिक ढांचे भी अलग होते हैं। लेकिन कश्मीर को लेकर हिन्दी प्रदेशों की सोच कुंद कर दी गई।

हिन्दी अखबारों और हिन्दी चैनलों ने हिन्दी प्रदेशों की जनता को मूर्ख बनाया कि जैसे कश्मीर में एक देश एक कानून का न होना ही संकट का सबसे बड़ा कारण है। अब वही हिन्दी अखबार और हिन्दी चैनल आपको एक देश एक कानून पर लेक्चर नहीं दे रहे हैं और न कोई गृहमंत्री या प्रधानमंत्री से सवाल कर रहा है। सबको पता है कि जनता पढ़ी लिखी है नहीं। जो पढ़ी लिखी है वो भक्ति में मगन है तो जो जी चाहे बोल कर निकल जाओ।

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आप हिन्दी अख़बारों को देखिए। क्या उनमें पूर्वोत्तर की चिन्ताएं और आंदोलन की ख़बरें हैं? क्यों आपको जानने से रोका जा रहा है? आप जान जाएंगे तो क्या हो जाएगा? क्योंकि हिन्दी अखबार नहीं चाहते कि हिन्दी प्रदेशों का नागिरक सक्षम बने। आप आज न कल, हिन्दी अखबारों की इस जनहत्या के असर का अध्ययन करेंगे और मेरी बात मानेंगे। अखबारों का झुंड हिन्दी के ग़रीब और मेहनतकश नागिरकों के विवेक ही हत्या कर रहा है।

अब भी आप एक मिनट के लिए अपने अखबारों को पलट कर देखिए और हो सके तो फाड़ कर फेंक दीजिए उन्हें। हिन्दुस्तान अखबार ने लिखा है कि नागरिकता विधेयक पर अंतिम अग्निपरीक्षा आज। राज्य सभा में बिल पेश होना है और हिन्दी का एक बड़ा अखबार अग्निपरीक्षा लिखता है। आप अग्निपरीक्षा जानते हैं। जिस बिल को लेकर झूठ बोला जा रहा है, जिसे पास होने में कोई दिक्कत नहीं है, क्या उसकी भी अग्निपरीक्षा होगी?

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