दो दिन पहले पीएम मोदी को एक अवॉर्ड दिया गया जिसका नाम था- ‘कोटलर प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड’

ये अपने आप में अनूठा इसलिए था कि इससे पहले न किसी को ये अवार्ड दिया गया और न ही इस अवॉर्ड को देने के पीछे कोई ज्यूरी (वो सदस्य जो फ़ैसला करते हैं कि अवॉर्ड किसको देना चाहिए) थी।… ये गुमनाम और पहली बार सामने आया अवॉर्ड था।

इससे पहले ना किसी ने इसके बारे में सुना, न देखा, न जाना और न ही पढ़ा। हाँ पर मोदी भक्त मीडिया ने मोदी को दिए इस अवॉर्ड को ऐसे पेश किया मानो मोदी जी को ये गुमनाम अवॉर्ड नहीं बल्कि शांति के लिए नोबेल सम्मान मिला हो।

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गुमनाम संस्था द्वारा मिले अवॉर्ड से पीएम मोदी भी कम गदगद नहीं थे। पीएमओ से बक़ायदा बयान जारी करके कहा गया कि, पीएम मोदी को ये अवॉर्ड दिया गया। ये सम्मान तीन आधारों पर केंद्रित है, पीपुल… प्रॉफ़िट… प्लानेट।

इस पुरस्कार के साथ मिले प्रशस्ति पत्र में लिखा गया है कि, देश को उत्कृष्ट नेतृत्व प्रदान करने के लिए यह सम्मान मोदी जी को दिया जाता है।

बहरहाल पहले ये कहा गया था कि मोदी जी को ये अवॉर्ड जिस कम्पनी द्वारा दिया गया है उसका ताल्लुक़ अलीगढ़ से है। पर अब ये दावा भी झूठा निकला… INDIA TODAY की ख़बर के मुताबिक़ ऐसी कोई कम्पनी अलीगढ़ में नहीं पाई गई है।

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ऐसे में सवाल ये उठता है कि आख़िर कोई पीएम मोदी को ऐसे कैसे बेवक़ूफ़ बना सकता है?… ऐसा अवॉर्ड लेने से पहले मोदी जी ने जाँच पड़ताल क्यों नहीं कराई? क्या उन्हें बस इस बात की जल्दी थी कि जल्दी से अवॉर्ड मिले और फ़ोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट की जाए?

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