सत्ता में आने से पहले और सत्ता में आने के फ़ौरन बाद केंद्र की मोदी सरकार ने देश की जनता को कई हसीन ख़्वाब दिखाए। सत्ता की कमान संभालते ही मोदी सरकार ने देश से कई बड़े-बड़े वादे कर डाले। उन्होंने देश के कई शहरों को स्मार्ट बनाने का वादा किया और देश को डिजिटल बनाने का संकल्प भी लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने शुरुआती दिनों में लगभग हर कार्यक्रम में डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टैंड अप इंडिया, स्किल इंडिया जैसे विकासवादी नारों का जमकर प्रयोग किया। इससे उनकी छवि में भी निखार देखने को मिला।

दुनियाभर में पीएम मोदी के इन कथित प्रोग्राम्स पर ख़ूब चर्चा हुई और मोदी को विकासवादी नेता के रूप में देखा जाने लगा। लेकिन वक्त के साथ ही पीएम मोदी और उनकी टीम ने इन शब्दों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया।

अब बहुत कम ऐसा देखने को मिलता है कि पीएम मोदी या उनकी कैबिनेट का कोई मंत्री स्मार्ट सिटीज़ या मेक न इंडिया की बात करता हो। अब न तो इंडिया को डिजिटल बनाने की बात होती है और न ही स्किल।

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तो अब सवाल यह उठता है कि आखिर पीएम मोदी और उनकी टीम ने इन नारों का इस्तेमाल करना क्यों बंद कर दिया। चार सालों में ऐसा क्या हो गया जो अब पूरी मोदी कैबिनेट इन नारों को याद नहीं करना चाहती।

यह कोई ऐसे सवाल नहीं हैं, जिनका जवाब मुश्किल हो। ये बड़े ही आसान सवाल हैं, जिसका जवाब सभी को पता है। सभी जानते हैं कि मोदी सरकार अपने वादे को पूरा करने में नाकाम रही है।

सरकार विकास के मोर्चे पर फेल हो गई है। ऐसे में सरकार इन नारों का इस्तेमाल कर भारत की जनता के ज़ख़्मों को और नहीं कुरेदना चाहती।

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बीजेपी में आए इस बड़े परिवर्तन को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने भी महसूस किया है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “ध्यान दें कि उन्होंने स्मार्ट सिटी, स्टैंड अप इंडिया, स्किल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया और डिजिटल इंडिया के बारे में बात करना बंद कर दिया है। लेकिन भारत नहीं भूला है और न ही उन्हें माफ़ किया जाएगा”।

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