बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर में इंसेफ़लाइटिस बुखार (चमकी बुखार) की वजह से कई बच्चों ने दम तोड़ दिया है। इस बुखार से मरने वालों की संख्या 100 के पार पहुँच चुकी है, मगर बिहार में आई इस मुसीबत पर सब चुप है। इस चुप्पी पर पत्रकार अजीत अंजुम ने सवाल उठाया है।

उन्होंने लिखा- काश कि ये प्रदेश और देश Muzaffarpur में बच्चों की मौत पर आक्रोशित होता। यहां कोई धरना नहीं। कोई प्रदर्शन नहीं। थोड़ी थोड़ी देर पर कोई बिलखती मां, कोई सुबकता पिता अपने बच्चे की लाश लेकर चला जा रहा है। 100 मौतों की बात कही जा रही है।

गौरतलब हो कि पत्रकार अजीत अंजुम खुद भी मुज़फ़्फ़रपुर में मौजूद है। उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों से प्रेस कांफ्रेंस में इस बिगड़े हालत पर सवाल किया था। जिसपर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा था कि डॉक्टरों की टीम सराहनीय कार्य कर रही है।

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उन्होंने ये भी जवाब देते हुए ये भी कहा कि मैंने लगभग 100 मरीज़ों यानी बच्चों और उनके माता-पिता से बात की है।एक एक बच्चे को, स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते नहीं बल्कि डॉक्टर होने के नाते, देखने का प्रयास किया है। बच्चों की केस शीट का भी अध्ययन किया है। डॉक्टरों से उनके मरीज़ों के बारे में विस्तार से बात करने की कोशिश की है।

हर्षवर्धन ने बच्चों की मौत पर दुःख ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस बात का हमें बहुत दुख है कि इस बार भी ये मामले देखने को मिले हैं, हालांकि पिछले वर्षों के मुक़ाबले इस बार ऐसे मामलों की संख्या में कमी आई है।

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इसके बाद जब उनसे दवाइयों की कमी पर सवाल किया तो CMO ने माइक लेते हुए कहा कि मुझे नहीं पता कि ICU के डॉक्टर ने किस आधार पर आपको ये बताया कि दवाएं नहीं हैं क्योंकि मैंने खुद आपको वो दवाएं दिखाई हैं।

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