सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई जिसे देख गरीबी में बेबसी का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। यह एक तस्वीर जो अयोध्या में मंदिर-मस्जिद विवाद पर एक करारा तमाचा है। जो दिखा रही है कि धार्मिक होने से पहले पेट भरना ज़रूरी होता है।

इस तस्वीर में एक बुजुर्ग दिखाई दे रहा है जिसमें साफ़ देखा जा सकता है की वो कार्यकर्ताओं को मिले खाने के डिब्बे से खाने की तलाश में है की जिससे उसे कुछ मिल जाए और उसका पेट भर सके।

इस तस्वीर पर आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने प्रतिक्रया दी है। अलका ने सोशल मीडिया पर लिखा-

भूखे का पेट ना ‘हिंदू’ देखता है ना ‘मुसलमान’ ! ना उसे मंदिर चाहिए ना मस्जिद ये बात कब समझेंगे ये नफरती?

नेताओं को खुद की राजनीति को जिंदा रखने के लिये मंदिर-मस्जिद चाहियें, एक गरीब को तो बस खुद को जिंदा रखने के लिये दो वक्त की रोटी चाहिये।

फ़ोटो: अयोध्या में राममंदिर निर्माण कार्यक्रम के बाद एक ग़रीब बची रोटियों को इकट्ठे करता हुआ।

बता दें कि शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद् ने अयोध्या में दो दिन राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए मंच सजाया था। जिसमें संघ प्रमुख से लेकर शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे जैसे नेता शामिल हुए थे।

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जिसका नतीजा तो कुछ निकला नहीं मगर सोशल मीडिया पर कम भीड़ और बुजुर्ग की तस्वीर वायरल हो गई जिससे लोग मंदिर से ज्यादा रोटी को महत्व देने की बात करते नज़र आ रहें है।

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