राफेल को लेकर हुए नए खुलासे के बाद जहां विपक्ष केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है, वहीं सरकार ने अपना बचाव करने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को मैदान में उतार दिया है। रक्षा मंत्री ने सरकार का बचाव करते हुए ख़ुलासा करने वाले अख़बार ‘द हिंदू’ की नीयत पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।

उन्होंने कहा, ‘उस ख़बर में रक्षा सचिव द्वारा उठाए गए मुद्दे के जवाब में तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की टिप्पणी को भी शामिल किया जाना चाहिए था। अखबार ने जो रक्षा सचिव के 5 नोट की बात की है इस मामले में उन्होंने अपना पूर काम नहीं किया है’।

अखबार पर हमला बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, ‘मुझे शक है कि वो लोगों के मन में इस डील को लेकर भ्रांति पैदा करना चाहते हैं। मुझे ऐसा लगता है कि यह व्यावसायिक हितों के युद्ध के जवाब में खुद के लिए किए जा रहे काम जैसा है’।

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इसके साथ ही सीतारमण ने इस मामले पर सफ़ाई देते हुए कहा कि अगर पीएमओ इस मुद्दे में यह देख रहा था कि डील में कितनी प्रगति हुई है? या अभी और क्या होना बाकी रहा है? डील फ्रांस में रहो रहा और बात आगे कहां तक पहुंची तो इसे हस्तक्षेप नहीं माना जा सकता है।

रक्षा मंत्री की इस सफ़ाई पर आम आदमी पार्टी की विधायक अलका लांबा ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “चोरी पकड़ी गई, अब कुछ भी सफ़ाई दो नही चलने वाली”। इसके साथ ही उन्होंने #PakdaGayaModi का हैशटैग लगाया।

क्या है ख़ुलासा

‘द हिंदू’ ने रक्षा मंत्रालय की एक रिपोर्ट के हवाले से अपनी ख़बर में इस बात का दावा किया है कि राफेल सौदे में प्रधानमंत्री कार्यालय के दख़ल से देश को हज़ारों करोड़ का नुकसान हुआ है।

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अख़बार में लिखा गया है कि राफेल डील को लेकर एक ओर रक्षा मंत्रालय की एक टीम फ्रांसीसी पक्ष से बात कर रही थी, वहीं उसके समानान्तर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद फ्रांसीसी पक्ष से बात कर रहे थे। रक्षा सचिव ने इसपर आपत्ति जताते हुए नोट लिखा था कि इससे भारतीय पक्ष को नुक़सान हो सकता है।

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