आधार कार्ड इतना खतरनाक हो सकता है कि वो किसी की जान भी ले सकता है। सरयू देवी की कहानी सुनकर तो ऐसा ही लगता है। सरयू देवी (70) रायबरेली के दरमऊ तहसील की रहने वाली थी। उनके घर में वो अकेली ही रहती थीं। वह 5 दिसंबर को कोटेदार, राशन लेने गई थी। मगर कार्ड वेरिफिकेशन न होने की वजह से उसे राशन नहीं दिया गया।

कोटेदार के लोग हर बार अलग- अलग बहाना देकर सरयू देवी को वापिस लौट जाने में मजबूर करते रहे। कभी फोटो कॉपी के लिए भेजते, कभी आधार कार्ड में गलत नाम दर्ज होने की बात करते रहे। मगर उसे सरकारी वितर्ण केन्द्र से उसे आनाज देने के लिए हर बार मना कर दिया गया।

वैसे तो कानून यदि सरकारी वितर्ण केन्द्र में आधार कार्ड वेरिफिकेशन न हो तो भी अनाज देना की अनुमति देता है। उस हिसाब से सरयू को भी राशन मिलना चाहिए था। मतलब यहां गलती सरकारी कर्मचारियों की हुई।

संतोषी भात-भात कहते भूख से मर गई और CM रघुवर ने प्रचार पर खर्च कर दिए 323 करोड़ रू

अपनी किस्मत को आज़माते हुए महिला एक आखिर में एक बार और 28 दिसंबर को फिर कोटेदार पहुंची। इस बार अधिकारियों ने उसे अपने आधार कार्ड की जांच करवाने के लिए राजधानी लखनऊ जाने का कहा।

यह सुनते ही सरयू वहीं गिर पड़ी, जिसके बाद गांव वाले ने उसे उसके घर पहुंचाया। और फिर दूसरे दिन उसके मौत की खबर आई। मौत की खबर सुनते ही कर्मचारियों और अधिकारियों में तूफान मच गया।

सरकारी वितरण केन्द्र के अधिकारियों ने सरयू के घर बोरा भर अनाज पहुंचा दिया। डलमऊ एसडीएम जीत लाल सैनी ने बताया कि जब वो उनके घर छानबीन करने गए तब सरयू के घर किसी भी चीज़ की कमी नहीं थी। अनाज बोरे भर उनके घर में रखे हुए थे।

भूखे का पेट ना ‘हिंदू’ देखता है ना ‘मुसलमान’ ! ना उसे मंदिर चाहिए ना मस्जिद- ये बात कब समझेंगे नफरती ?

इसलिए यह स्वाभाविक मृत्यू ही लग रहा है। सरयू के मौत को मौत की नज़र से नहीं हत्या की नज़र से देखना जाना चाहिए। इस मौत में सरकारी वितरण के अधिकारी तो जिम्मेवार तो थे ही साथ ही आधार कार्ड भी सरजु की मौत का अहम कारण है।

पिछले 4 सालों में आधार कार्ड को इस कदर अनिवार्य कर दिया गया है कि लोग वोटर आईडी प्रूफ के लिए वोटर आईडी, पैन कार्ड जैसी डॉक्यूमेंट भूल सकते हैं। पर आधार कार्ड सबके पास मिल जाता है।

आज राशन लेने के लिए सिर्फ राशन कार्ड अनिवार्य होता, तो शायद सरयू देवी हमारे बीच जिंदा होतीं। जनता के साथ हो रहे इस अत्याचार को देखने के बाद भी प्रधानमंत्री चुप बैठे हैं। आधार अनिवार्य करने वाले वहीं एक शख्स हैं। तो क्या वो सरयू की मौत की जिम्मेदारी लेंगे?

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here