महज चार महीने बाद देश आम चुनाव के समर में कुदने जा रहा है। इस बीच 11 दिसंबर को पांच राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम) में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित हुए। सभी राज्यों में BJP को जबरदस्त शिकस्त मिली है।

हिंदी हिंदू हिंदुस्तान की राजनीति करने वाली BJP को हिंदी पट्टी के राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हारने का सबसे ज्यादा दुःख होगा। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की पीड़ा से तो शायद बीजेपी लंबे वक्त तक नहीं उबर पाएगी।

मध्य प्रदेश में पिछले 14 सालों से BJP की सरकार थी। उमा भारती और बाबूलाल गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान 2008 से लगातार मुख्यमंत्री थें। परिणाम में वोट प्रतिशत और हार जीत का अंतर बहुत बड़ा नहीं है लेकिन कांग्रेस ने सरकार बनाने लायक सीट जुटा ली है।

छत्तीसगढ़ के आंकड़े जरूर BJP के आंखे नम कर देने वाले हैं। 7 दिसम्बर 2003 यानी लगभग पिछले 15 सालों से रमन सिंह के नेतृत्व बीजेपी का शासन था। सन 2000 में छत्तीसगढ़ नए राज्य के रुप में भारत के मानचित्र पर उभरा।

15 साल बाद छत्तीसगढ़ में ढहा बीजेपी का किला! भारी बहुमत के साथ कांग्रेस बना रही है सरकार

राज्य के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी बने। तब अजीत जोगी कांग्रेसी हुआ करते थे। अब उनकी अपनी अलग पार्टी है। ख़ैर तीन साल बाद यानी 2003 में विधानसभा चुनाव हुए और छत्तीसगढ़ भाजपा का गढ़ बना गया। तब से केंद्र में सत्ता बदलती रही लेकिन छत्तीसगढ़ में लगातार रमन सिंह मुख्यमंत्री बनते रहे।

लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का ये गढ़ पूरी तरह बर्बाद हो गया। छत्तीसगढ़ में कुल 27 जिले और 90 विधानसभा क्षेत्र हैं। बीजेपी 90 में से मात्र 15 सीटों जीत पायी है। पिछले चुनाव यानी 2013 विधानसभा चुनाव से 34 सीटें कम। वहीं कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत दर्ज की है, पिछले चुनाव से 29 सीट ज्यादा।

वोट प्रतिशत में इस बार 10% का अंतर है। इस चुनाव में बीजेपी को 33% वोट मिले हैं और कांग्रेस को 43%. पिछले चुनाव में बीजेपी को 41% वोट मिले थे और कांग्रेस को 40.3%.

छत्तीसगढ़ के किसानों के आए अच्छे दिन ! अधिकारी ने लिखा- 10 दिन में माफ़ हों किसानों के कर्ज

इसका मतलब पिछले साल की तुलना में बीजेपी को इस बार 8 प्रतिशत कम वोट मिले हैं और कांग्रेस को 2.7 प्रतिशत ज्यादा।

क्यों छत्तीसगढ़ की हार सामान्य नहीं है?

छत्तसीगढ़ में रमन सिंह को मिलाकर कुल 13 कैबिनेट मंत्री थे। एक-एक मंत्री के दो से नौ पद थे। इन 13 कैबिनेट मंत्रियों में से दो ने इस बार का चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन मुख्यमंत्री समेत जिन 11 कैबिनेट मंत्रियों ने चुनाव लड़ा उनमें से 8 चुनाव हार गए हैं।

अमर अग्रवाल छत्तीसगढ़ सरकार में Commercial Tax, Urban Administration, Department of Commerce, Industries and Public Enterprises, Information Technology & Electronics मंत्री थे। अमर अपनी विधानसभा क्षेत्र बिलासपुर से हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के शैलेश पांडे 11221 वोटों से हरा दिया है।

केदारनाथ कश्यप छत्तीसगढ़ सरकार में Tribal and Scheduled Caste Development, Backward Classes and, Minorities Development, School Education मंत्री थे। केदारनाथ कश्यप अपनी विधानसभा क्षेत्र नारायणपुर से हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के चंदन कश्यप ने 2647 वोटों से हरा दिया है।

प्रेम प्रकाश पाण्डेय छत्तीसगढ़ सरकार में Revenue and Disaster Management, Rehabilitation, Higher Education, Technical Education and Manpower Planning, Science and Technology थे। प्रेम प्रकाश पाण्डेय अपनी विधानसभा क्षेत्र भिलाईनगर से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के देवेंद्र यादव ने 2797 वोटों से हरा दिया है।

राजेश मूणत छत्तीसगढ़ सरकार में Public Works, Housing and Environment, Transportation मंत्री थे। राजेश मूणत अपनी विधानसभा क्षेत्र रायपुर पश्चिम से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के विकास उपाध्याय ने 12212 वोटों से हरा दिया है।

रामसेवक पैकरा छत्तीसगढ़ सरकार में Home, Jail, Public Health Engineering मंत्री थे। रामसेवक पैकरा अपनी विधानसभा प्रतापपुर से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के प्रेमसाय सिंह टेकाम ने 44105 वोटों से हरा दिया है।

लाल राजवाड़े छत्तीसगढ़ सरकार में Labour, Sports and Youth Welfare Department, Public Grievances Redressal मंत्री थे। लाल राजवाड़े अपनी विधानसभा क्षेत्र बैकुंठपुर से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के अंबिका सिंहदेव 5339 वोटों से हरा दिया है।

दयालदास बघेल छत्तीसगढ़ सरकार में Cooperatives, Department of Culture and Tourism मंत्री थे। दयालदास बघेल अपनी विधानसभा क्षेत्र नवागढ़ से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के गुरुदयाल सिंह बंजारे ने 33200 वोटों से हरा दिया है।

महेश गागड़ा छत्तीसगढ़ सरकार में Forest, Law and Legal Affairs मंत्री थे। महेश गागड़ा अपनी विधानसभा क्षेत्र बीजापुर से चुनाव हार गए हैं। इन्हें कांग्रेस के विक्रम मंडावी ने 21584 वोटों से हरा दिया है।

इन दिग्गज नेताओं की हार छत्तीसगढ़ की हार को असमान्य बना देती है। भविष्य की राजनीति और 2019 के आम चुनाव पर इसका प्रभाव जरुर देखने को मिलेगा। छत्तसीगढ़ में लोकसभा की कुल 11 सीटें हैं। इस हार का प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति में राज्यसभा की सीटों के माध्यम से भी देखने को मिल सकता है। छत्तीसगढ़ राज्यसभा की कुल पांच सीटें हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here