केरल के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर महिलाओं ने वहां के स्थानिय लोगों को दिखा दिया कि वे अपने मौलिक अधिकारों को छीन के ही रहेंगी।

नए साल की शुरूआत एक सकारात्मक खबर के साथ हुई है। खबर केरल के सबरीमाला मंदिर से है। दो स्थानीय महिला बिंदू और कनकदुर्गा ने सभी पाबंदी को तोड़ते हुए तड़के सुबह भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश कर लिया है। बिंदू और कनकदुर्गा पहली ऐसी दो महिला हैं जिन्होंने भगवान अयप्पा के मंदिर में प्रवेश किया है।

दरअसल सबरीमाला वह मंदिर हैं जहां 10 से 50 साल की महिलाएं प्रवेश नहीं कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट ने सिंतबर महीने में सबरीमाला मंदिर में फैसला सुनाते हुए, मंदिर में महिलाओं पर लगे बैन को हटा दिया था। बैन हटने के बाद भी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इज़ाजत नहीं थी।

महिलाओं की लाख कोशिशें भी नाकाम रही। केरल के स्थानीय लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ठुकराते हुए मंदिर के पास कई दिनों तक प्रदर्शन भी किया था। पर इसके बावजूद भी वहीं स्थानीय दो महिलाओं ने मंदिर में आज प्रवेश कर ही लिया।

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1 जनवरी को मंदिर में प्रवेश की मांग को लेकर मंदिर के बाहर ह्यूमन चैन बनानी वाली महिलाओं समेत पुलिसकर्मियों और मीडिया वालों पर बीजेपी – आरएसएस के कुछ कथित कार्यकर्ताओं ने पथराव किया था। जिसके बाद पुलिस बल ने उन्हें इन कार्यकर्ताओं को वहां से हटाया था।

महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने वाला वीडियो भी सामने आया है। जानकारी के अनुसार, तड़के 3 बजे महिलाओं ने भगवान अयप्पा के पट पर प्रवेश किया था। महिलाओं से छूआछूत करने वाले मंदिर के लोगों ने मंदिर के पट को शुद्धिकरण के लिए बंद कर दिया था। जिसे बाद में फिर खोल दिया गया।

इन महिलाओं की हिम्मत की लोग तारीफ कर रहे हैं। लोग इन दोनों महिलाओं की तारीफ करते हुए और वीडियो शेयर करते इन महिलाओं की हिम्मत और उनके इस कदम की सरहाना हो रही है।

मोदी बोलते हैं- सबरीमाला आस्था का मामला है पर तीन तलाक न्यायिक मामला

प्रधानमंत्री में नए साल में एएनआई को एक इंटरव्यू दिया। सबरीमाला मंदिर और तीन तालाक दोनों ही मामला महिलाओं के अधिकार से जुड़ा है।

रविशंकर ने कहा- ट्रिपल तलाक बिल महिलाओं के अधिकार के लिए लाया गया है, पत्रकार बोले- वही अधिकार आप सबरीमाला में क्यों नहीं देते?

पर प्रधानमंत्री मोदी दोनों मामलों को अलग- अलग नज़रिये से देखते हैं। जहां एक तरफ प्रधानमंत्री ने सबरीमाला मंदिर को आस्था का मामला बताया वहीं तीन तालाक बिल को महिलाओं का अधिकार बताया।

शायद प्रधानमंत्री भूल गए हैं कि मंदिर में जाने का हक जितना पुरूष को उतना महिलाओं को भी है। सबरीमाला मंदिर में प्रवेश न मिलने से महिलाएं अपनी मौलिक अधिकारों से दूर जा रही हैं। यदि तीन तालाक बिल न्यायिक मामला है तो सबरीमाला मंदिर भी न्यायिक मामला है।

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