बिहार सरकार के शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम में भारी वित्तीय गड़बडियां सामने आई हैं। सीएजी रिपोर्ट के अनुसार निगम में 2009 में स्थापना से लेकर जून 2017 के बीच 1300 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता हुई है।

आपको बता दें कि इस शहरी आधारभूत संरचना विकास निगम की स्थापना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर 16 जून 2009 को की गई थी।

स्थापना के बाद सीएजी द्वारा पांच बार इस निगम का ऑडिट किया जा चुका है। पांचों रिपोर्ट में निगम में वित्तीय अनियमितता पाई गई थी और सरकार को इसकी रिपोर्ट भी दी गई थी लेकिन बिहार सरकार द्वारा इन रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

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साथ ही इन गड़बड़ियों के सामने आने के बाद संबंधित विभाग द्वारा इन वित्तीय गड़बड़ियों को अबतक खारिज भी नहीं किया है। सीएजी ने पहले के तीन निरीक्षण रिपोर्ट में निगम से इन वित्तीय आपत्तियों पर चार सप्ताह में जवाब मांगा था। जबकि पिछले दो वित्तीय वर्ष के ऑडिट में गड़बड़ियों पर छह सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था।

आरटीआई कार्यकर्ता अमित कुमार मंडल और अशोक कुमार मिश्र ने मुख्य सचिव से लेकर राज्यपाल तक को इस पर संज्ञान लेने की गुहार लगाई है, लेकिन अब तक इस मामले में कोई भी जांच नहीं की गई है।

हाल ही में बिहार के कई सरकारी विभागों में सीएजी ने वित्तीय अनियमितताएं पकड़ी हैं। सरकार इन विभागों में हो रहे पैसों के हेर-फेर पर फिलहाल अभी चुपी साधे हुए है।

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वहीं विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर इन वित्तीय गड़बडियों पर दवाब बनाना शुरू कर दिया है। इस मामले का खुलासा होने पर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है।

मांझी ने कहा कि नीतीश राज्य के पैसों को लुटवा रहे हैं। मांझी ने राज्य के राजस्व को बचाने के लिए बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।

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