बिहार के दो चर्चित घोटाले हुए एक है ‘चारा घोटाला’ और दूसरा है ‘सृजन घोटाला’। दोनों घोटाले दो अलग-अलग मुख्यमंत्रियों के कार्यकाल में हुए। ये घोटाले इतने बड़े हैं कि इसने बिहार की राजनीति को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है।

दोनों घोटालों की ही जाँच सीबीआई को सौंपी गई, लेकिन क्या सीबीआई ने भेदभाव के बिना दोनों घोटालों की निष्पक्ष जाँच की?

चारा घोटाला और सृजन घोटाला के तह में जाने पर पता चालेगा कि सीबीआई ने जाँच तो दोनों घोटालों की, की। मगर, इस जाँच में सीबीआई के जाँच करने का तरीका और उसकी निष्पक्षता दोनों सवालों के घेरे में है! क्योंकि केंद्र में हमेशा से कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें रही हैं और केंद्र में जिसकी सरकार होती है सीबीआई उसकी।

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जिस तरह से सीबीआई ने चारा घोटाले में जाँच की और उसमें लालू प्रसाद यादव को मुख्य दोषी बनाकर सारे सबूत जमा किए और उन्हें इस मामले में जेल जाना पड़ा! और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा जो जेल के बाहर हैं!

वैसे लालू जेल में हैं इसके पीछे का कारण लालू और आरजेडी पर दबाव बनाकर उन्हें बिहार की राजनीती में कमजोर करना था। ताकि अन्य दल बिहार में अपना विस्तार कर सकें।

आरजेडी ने अपने अधिकारिक ट्वीटर हैंडल से ट्वीट करके चारा घोटाले की जाँच पर संदेह जताते हुए सीबीआई और एनडीए सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। ट्वीट में लिखा है कि, “पशुपालन विभाग घोटाला दुनिया का सबसे अद्भुत घोटाला है। इसे ‘अंधेर नगरी’ के तर्ज पर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में शामिल किया जाना चाहिए।”

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इस ट्वीट में आगे लिखा गया है कि, “पशुपालन विभाग घोटाले में वित्त सचिव, विभाग सचिव, मंत्री, जिलाधिकारी, पूर्व मुख्यमंत्री (जगन्नाथ मिश्रा), और सभी अधिकारी मंत्री निर्दोष! सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री दोषी!”

वहीं आरजेडी ने बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला करते हुए लिखा कि, “सृजन घोटाला में अरबों रफूचक्कर! मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, वित्त मंत्री, सभी अधिकारी निर्दोष। बस चपरासी कम्पूटर और टेलीफोन ओपरेटर, क्लर्क दोषी हैं। पर यह अंधेर नगरी नहीं है।”

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सृजन घोटाला 1400 करोड़ रुपए का है जो 2004 से चल रहा था, इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी आरोपी हैं।

इस घोटाले ने नीतीश की कथित सुशाशन बाबू की छवि को काफी नुकसान पहुँचाया था। लेकिन इस घोटाले में सीबीआई जाँच की मांग के बावजूद विपक्षी दल आरजेडी की आवाज़ धीमी कर दी गई।

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