
नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव में सालाना दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था। लेकिन विडंबना ये हो चुकी है कि सालाना करोड़ों रोजगार मिलने के बजाए करोड़ों लोग बेरोजगार हो रहे हैं।
ये बात सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की नई रिपोर्ट बताती है। सीएमआईई की मासिक रोजगार रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच एक करोड़ से अधिक लोगों ने अपनी नौकरियाँ खो दीं।
ये अनुमान सीएमआईई द्वारा किए गए मासिक सर्वेक्षण के आधार पर तय किए गए हैं।
अक्टूबर 2018 के नतीजे बताते हैं कि एक साल पहले, अक्टूबर 2017 में, 40 करोड़ 70 लाख लोगों के पास नौकरी थी जिनकी संख्या अब घटकर 39 करोड़ 70 लाख 20 हज़ार हो गई है।
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इन नवीनतम आँकड़ों की तुलना जनवरी 2017 के आँकड़ों से की जाये तो हम पाएँगे कि रोज़गार प्राप्त लोगों की संख्या में लगभग 1.12 करोड़ की भारी गिरावट आईI
अक्टूबर 2018 में, बेरोज़गारी की दर 6.9 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है जो पिछले दो सालों में सबसे ज़्यादा है।
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एक साल पहले, नौकरियों की तलाश में लगे बेरोज़गार व्यक्तियों की संख्या 2.1 करोड़ थी, जो बाद में 2.95 करोड़ हो गई यानि बेरोज़गारों की संख्या में 85 लाख लोगों का इजाफा हुआ।