मोदी सरकार में बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ता चला जा रहा है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि रोजगार के मामले में युवाओं के लिए पिछला साल खासा बुरा रहा। साल 2018 में करीब 1.10 करोड़ भारतीयों को अपनी नौकरियों से हाथ धोना पड़ा।

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में बेरोजगारी की दर 7.4 फीसदी थी जोकि 15 महीने में सबसे अधिक है।

CMIE रिपोर्ट: 2018 में 1.10 करोड़ लोगों की नौकरी गई, ग्रामीण भारत में 91 लाख हुए बेरोजगार

रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस सांसद अहमद पटेल ने मोदी सरकार द्वारा आंकड़े दबाने पर सवाल खड़े किए। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,

क्या इसीलिए श्रम मंत्रालय ने साल 2016 से रिपोर्ट देनी बंद कर दी। और रोजगार से जुड़े तिमाही सर्वे देने से मना कर दिया है। सभी बेरोजगारों से कहा गया कि सवाल पूछने की जगह पकौड़े बनाओ।

गौरतलब हो कि साल 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष का पद छोडऩे से एक दिन पहले अरविंद पंगढ़िया ने नौकरियों के आंकड़ों में सुधार की सिफारिश मोदी सरकार को सौंप दी थी।

बता दें कि अब आए सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है कि कमजोर समूहों से संबंधित व्यक्तियों को 2018 में नौकरी के नुकसान से सबसे ज्यादा प्रभावित होना पड़ा।

रिपोर्ट में ये भी पता चला है कि देश में बेरोजगारी की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।

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