टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, ‘सीमा पर तैनात रहने वाले सशस्त्र बल के करीब 90000 हजार कर्मियों को सरकार की तरफ से जनवरी और फरवरी के भत्तों का भुगतान नहीं किया गया है।’ भत्तों का भुगतान नहीं किया जाना सरकार के पास फंड की कमी बताया जा रहा है।
सशस्त्र बल ने चिंता जताते हुए मोदी सरकार से कह दिया है कि उनके पास दो महीने का वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं है। ये साफ़ तौर पर मंदी का असर है जो अब सेना के जवानों के ऊपर भी दिखने लगा है।
लेकिन मोदी सरकार ये मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में मंदी है! जबकि एक-एक करके सभी सरकारी कंपनियों और संस्थाओं में पैसे की कमी साफ़ दिखने लगी है।
सरकार के पास 90,000 जवानों को वेतन देने के पैसे नहीं, लेकिन गृहमंत्री ‘हिंदू-मुस्लिम’ कर रहे हैं
वहीँ इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्वीट करते हुए लिखा- शर्म करो भाजपा सरकार! सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल के 90,000 सैनिकों के लिए मोदी सरकार के पास जनवरी-फ़रवरी की तनख्वाह नही। 23 जनवरी को चाइल्ड एजुकेशन व लीव ट्रैवल कन्सेशन सहित सभी भत्तों को भी रोक दिया गया। क्या सैनिक केवल वोट बटोरने का माध्यम है?
शर्म करो भाजपा सरकार!
सीमा पर तैनात सशस्त्र सीमा बल के 90,000 सैनिकों के लिए मोदी सरकार के पास जनवरी-फ़रवरी की तनख्वाह नही।
23 जनवरी को चाइल्ड एजुकेशन व लीव ट्रैवल कन्सेशन सहित सभी भत्तों को भी रोक दिया गया।
क्या सैनिक केवल वोट बटोरने का माध्यम है?https://t.co/tSNN5fGCNl
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) January 28, 2020
बता दे कि अगले महीने फरवरी में देश का आम बजट भी आने वाला है। ठीक ऐसे समय में जवानों को वेतन नहीं मिलना ये जवानों का मनोबल तोड़ सकता है। क्योंकि जवान सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, यह दूसरा मौका है जब अर्द्धसैनिक बलों के कर्मियों के भत्तों का भुगतान रोक दिया गया है। पिछले साल सितंबर 2019 में सीआरपीएफ के 3 लाख जवानों का 3600 रुपये का राशन भत्ता रोक दिया गया था। मामला बढ़ने के बाद अगले महीने यानि अक्टूबर महीने में सरकार ने फंड जारी किया था।