जेएनयू हिंसा के चार दिन बीत जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हुई हिंसा पर हैरान करने वाले दावे किए हैं। पुलिस का दावा है कि कैंपस में हुई हिंसा के सिलसिले में 9 छात्रों की पहचान कर ली गई है। इस मामले पर दिल्ली पुलिस की तरफ से दिल्ली पुलिस डीसीपी (क्राइम ब्रांच) जॉय तिरकी ने प्रेस कांफ्रेंस की है।
JNUSU president elect Aishe Ghosh on being named as a suspect by Delhi Police in JNU violence case: Delhi Police can do their inquiry. I also have evidence to show how I was attacked. pic.twitter.com/ursxExW7Uk
— ANI (@ANI) January 10, 2020
इस मामले में पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें और वीडियो की मदद से नौ छात्रों की पहचान करने का दावा किया है और कहा है इन्हें जल्द ही नोटिस भेजा जाएगा। इस मामले में जिन नौ छात्रों के नाम हैं वो हैं- जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष, जेएनयू छात्रसंघ की काउंसलर सुचेता ताल्लुकदार, चुनचुन कुमार, प्रिया रंजन, डोलन सामंत, योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल, पंकज मिश्रा और भास्कर विजय जैसे नाम शामिल हैं।
सवाल: सिर्फ लेफ्ट संगठनों से जुड़े लोगों की पहचान कर पाई दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के इस जांच से ऐसा लगता है कि हिंसा में सिर्फ लेफ्ट संगठन के लोग ही शामिल थे। यहां तक कि जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष, जिनका सिर पर रॉड से वार किया गया था, उन्हें भी हमलावर बताया जा रहा है।
आखिर में सवाल उठता है कि क्या दिल्ली पुलिस अभी भी सरकार के इशारों पर काम करने को मजबूर है। हालांकि ये कोई पहली बार नहीं हुआ जब पीड़ित को ही संदिग्ध बना दिया गया हो और ये कोई आखिरी बार भी नहीं है। पूरी जांच का सार यही है कि दिल्ली पुलिस ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए दिल्ली के बड़े अफसरों में वही बोला जो सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है।
दिल्ली पुलिस के क्राइम ब्रांच ने अब तक की जांच में क्या हासिल किया इसे लेकर सीधे-सीधे जेएनयू के छात्र संगठनों पर घटना की जिम्मेदारी डाल दी।
बाहरी नहीं आए तो किसने किया हमला?
प्रेस कांफ्रेंस करते हुए दिल्ली पुलिस ने कहा कि ये भी खुलासा हुआ है कि पुलिस की तरफ से आगे कहा गया है नकाबपोशों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज नहीं मिला, इसके बाद वायरल फोटो और वीडियो की मदद ली गई।
जेएनयू में जब पांच जनवरी को हिंसा हुई तब ये कहा जाना लगा की भीड़ बाहर से आई। मगर दिल्ली पुलिस इसमें भी कंफ्यूज है।
वो एक बार को ये कह रही है कि दिल्ली पुलिस की तरफ से कहा गया कि वॉट्सऐप ग्रुप बनाकर हमला किया गया, जब तक पुलिस एक्शन लेती तब तक जंगल के एरिया में भाग गए। वहीँ दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि बाहर वालों के लिए अंदर जाना मुश्किल है, गेट पर मौजूद रजिस्टरों की जांच की जा रही है कि कौन अंदर गए थे।
जबकि दिल्ली पुलिस पर छात्रों का आरोप था कि पुलिस गेट के बाहर खड़ी होकर तमाशा देखती रही, गुंडे खुलेआम तोड़फोड़ और मारपीट करते रहे। यहां तक कि प्रोफ़ेसर के घर में भी घुसकर आतंकित किया।
इस मामले पर आइशी ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि पुलिस के संदिग्ध कहने से कोई संदिग्ध नहीं हो जाता। उन्होंने कहा मुझे इस देश की न्याय-व्यवस्था पर पूरा भरोसा है और मुझे उम्मीद है कि असली दोषियों का पता चल ही जाएगा।
JNUSU president Aishe Ghosh: I have full faith in the law & order of this country that investigation will be fair. I will get justice. But why is Delhi Police bias? My complaint has not been filed as an FIR. I have not carried out any assault. https://t.co/qMIzyrBlbv
— ANI (@ANI) January 10, 2020
साभार – बीबीसी, क्विंट