वाराणसी से नरेंद्र मोदी को कड़ी चुनौती देने के लिए महागठबंधन ने पूर्व BSF जवान तेज बहादुर यादव को अपना उम्मीदवार घोषित किया था. लेकिन चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द कर दिया है. चुनाव आयोग की मुश्किल शर्तों को पूरा करने के बाद भी चुनाव आयोग ने ये फैसला लिया है.
सियासी गरमा-गर्मी के बीच लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव का नामांकन क्यों रद्द कर दिया.
इसी पर प्रोफ़ेसर अशोक स्वेन ने सवाल उठाया कि, “चुनाव आयोग हिंदुत्व आतंकवादी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव लड़ने की अनुमति देती है लेकिन BSF जवान तेज बहादुर यादव को नहीं!”
Election Commission Allows Hindutva Terrorist Pragya Thakur to Contest but Not the BSF Jawan Tej Bahadur Yadav! https://t.co/yhFpuShqF8
— Ashok Swain (@ashoswai) May 1, 2019
हालाँकि, चुनाव आयोग का कहना है कि तेज बहादुर यादव ने नामांकन के समय BSF से निकाले जाने पर दो अलग-अलग जानकारी दी थी. और वो इसका जवाब नहीं दे पाए.
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चुनाव आयोग द्वारा नामांकन रद्द किए जाने पर तेज बहादुर ने कहा कि, “मेरा नामांकन गलत तरीके से रद्द किया गया है, मुझे कल 6:15 PM तक एविडेंस पेश करने के लिए कहा गया था हमने किया, फिर भी मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया, हम इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।”
आपको बता दें की तेज बहादुर यादव ख़बरों में तब आए थे जब उन्होनें BSF जवानों को ख़राब मिल रहे खाने की वीडियो सोशल मीडिया पर जारी करी थी. इसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था.
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तेज बहादुर ने एलान किया था कि वो वाराणसी से नरेंद्र मोदी को चुनौती देंगे. इसके बाद महागठबंधन ने उनको अपना उमीदवार घोषित करदिया था. वहीँ दूसरी तरफ प्रज्ञा ठाकुर भोपाल से भाजपा की उम्मीदवार हैं. वो साल 2008 में हुए मालेगाव ब्लास्ट में आरोपी हैं और अभी बेल पर बाहर हैं. वो ९ साल की सजा भी काट चुकी हैं. लेकिन चुनाव आयोग को उनके नामांकन को रद्द नहीं किया था.
अब सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग भाजपा का साथ दे रहा है? क्या तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द करने के पीछे एक सोची-समझी साजिश है?