अमरोहा जिले के धनौरा मंडी थाने में हिरासत में एक दलित की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को नोटिस भेजा है।

इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए आयोग ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। साथ ही आयोग ने स्पष्टीकरण मांगा कि पुलिस हिरासत में हुई उक्त मौत के बारे में आयोग को सूचित क्यों नहीं किया गया।

बता दें कि पुलिस ने चोरी के एक मामले में दलित युवक को 23 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। युवक के परिजनों का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उसे छोड़ने के लिए पांच लाख रूपये रिश्वत मांगी थी जो वे नहीं दे सके। उसके बाद युवक को बर्बर यातना दी गई।

नमाज़ पर पाबंदी लगाने वाली योगी सरकार RSS की शाखा पर पाबंदी क्यों नहीं लगातीः कांग्रेस

मृतक के परिजनों का आरोप है कि वे लोग एक विवाह में शामिल होने के बाद घर लौट रहे थे, उसी समय पुलिस ने युवक को उठा लिया। उसे बिना किसी शिकायत हवालात में रखा गया और यातनाएं दी गईं।

आयोग ने कहा कि अगर मीडिया में आईं खबरें सही हैं तो यह पीडित के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है। ग़ौरतलब है कि मृत व्यक्ति की पत्नी कुंती ने पति की मौत के बाद हर्जाने की मांग की थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार से खुद के लिए नौकरी भी मांगी थी।

खुलासा: इंस्पेक्टर सुबोध सिंह को पहले कुल्हाड़ी से काटा फिर गोली मार दी, क्या अब भी CM योगी इसे हादसा बताएंगे?

इसी मांग के मद्देनज़र आयोग ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट में यह भी इंगित होना चाहिए कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति कानून एवं नियमों के तहत मृतक के परिजनों को कोई आर्थिक या अन्य राहत प्रदान की गई या नहीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here