जाने माने गीतगार, शायर और स्क्रिप्ट राईटर जावेद अख़्तर का कहना है कि, राष्ट्रवाद और देशभक्ति का मतलब सिर्फ़ नारा लगाना नहीं हैं। राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक जीवनशैली है। देशभक्ति और राषट्रवाद का मतलब है सामाजिक रूप से जागरूक होना। सिर्फ़ नारा लगाना देशभक्ति नहीं है।

जावेद अख़्तर बुधवार को Symbiosis Institute of management के बैनर तले ‘Festival of Thinkers’ प्रोग्राम में बोल रहे थे।

कार्यक्रम में बोलते हुए पद्मभूषण और पद्मश्री जावेद अख़्तर कहते हैं कि- आज हमने सामाजिक ज़िम्मेदारी और असली राष्ट्रवाद को बहुत पीछे छोड़ दिया है। आज हिंदुस्तान दो भागों में बँटा हुआ है। राष्ट्रवादियों और राष्ट्रविरोधियों के बीच। अगर आप किसी बात पर सामने वाले से असहमति रखते हैं तो आप राष्ट्रविरोधी हैं।

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राष्ट्रवाद को सामाजिक जागरूकता बताते हुए जावेद अख़्तर कहते हैं कि देशभक्ति और राष्ट्रवाद का मतलब है, कि हम समाज को बड़े फ़लक पर देखें। घर और देश हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ये समझना ज़रूरी है कि इसके लिए सही क्या है, यही हमें बेहतर नागरिक बनाता है।

ज़ाहिर है जैसा जावेद अख़्तर ने कहा कि, मौजूदा हालात में देश को दो हिस्सों देशभक्त और देशविरोधियों में बाँट दिया गया है। ये देश के लिए, समाज के लिए और एक नागरिक के रूप में सही नहीं है।

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देशभक्ति का मतलब महज़ नारा लगाना नहीं होता। देशभक्ति तो ऐसा एहसास है जो दिल में हैं। जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है। ठीक उसी तरह जैसे हम अपने माँ-बाप से मुहब्बत करते हैं। लेकिन उसका एहसास हमारे दिल में होता है। न कि हम नारे लगा -लगा के, चीख़-चिल्ला कर उनको बताते हैं।

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