राफेल डील पर जब रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण विपक्षी दलों के सवालों का जवाब दे रही थी। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी रक्षामंत्री के जवाबों पर एक बार फिर से सवाल किया और उन्हें पूछने का मौका भी दिया गया।

मगर बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद लाल कृष्ण आडवाणी ने जब लोकसभा में बोलने की इजाजत मांगी तो उन्हें बोलने की इजाजत नहीं दी गई।

दरअसल लोकसभा में बहस के दौरान जब संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्पीकर सुमित्रा महाजन से कहा कि आडवाणी कुछ बोलना चाहते हैं। मगर स्पीकर ने उन्हें बोलने अनुमति नहीं दी। सुमिरता महाजन ने आडवाणी से कहा कि वो कुछ नहीं बोलें।

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ध्यान रहे कि सदन को ऑर्डर में रखने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है। स्पीकर को यह अधिकार है कि वह किस सदस्य को कब बोलने का मौका दे।

बता दें कि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों के मांग थी राफेल डील पर संसद के चर्चा हो। इससे पहले अरुण जेटली ने सरकार की तरफ से पक्ष रखा।

अब रक्षा मंत्री  निर्मला सीतारमण ने जवाब देते हुए कहा कि यूपीए चाहती ही नहीं थी कि रक्षा सौदा हो। अगर यूपीए वाली डील होती तो विमान आने में 11 सालों का समय लग जाता।

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इसपर पलटवार करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद ने मुझे बताया था कि अनिल अंबानी की कंपनी का नाम भारत की तरफ से सुझाया गया था।

मेरा सवाल ये है कि HAL को हटाकर अनिल अंबानी की कंपनी को इस डील में कौन लेकर आया।

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