देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई के विवाद में अब मोदी सरकार की बड़ी भूमिका होने के सबूत आने लगे हैं।

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, इस मामले में मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री से लेकर दो मुख्यमंत्रियों तक के नाम है। यह खबरें मनीष कुमार सिन्हा द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे के हवाले से लिखी गई हैं।

आपको बता दें कि मनीष कुमार वही अधिकारी हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भारत के सुरक्षा सलाहकार समेत कई मंत्रियों के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे। मनीष कुमार के ही हलफनामें में यह खुलासा हुआ है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के खिलाफ केस की जांच में बड़े स्तर पर मोदी सरकार के एक कैबिनेट मंत्री ने दखल दिया।

लालू प्रसाद के खिलाफ केस में कैबिनेट मंत्री ने इतनी दिलचस्पी दिखाई कि मंत्री जी ने सीबीआई को लालू यादव के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने, कोर्ट में कोई जवाब फाइल करने या गिरफ्तारी जैसा कदम उठाने से पहले उससे सलाह लेने का निर्देश तक दे दिया।

साथ ही मंत्री जी के निर्देश का पालन करते हुए सीबीआई ने लालू प्रसाद से जुड़े मामले की फाइल को दो बार मंत्री जी के पास भिजवा भी दिया।

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साथ ही भगोड़े नीरव मोदी और विजय माल्या की मदद करने में कई मंत्रियों के नाम इस हलफनामें के दायर होने के बाद सामने आ रहें हैं। सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करने वाले मनीष सिंहा के अनुसार मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री समेत एक अन्य मंत्री की कॉल रिकॉर्ड की गई है जिसमें मंत्री नीरव मोदी और माल्या की पैरवी कर रहें हैं।

आपको बता दें कि सीबीआई अधिकारी एमके सिंहा सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच टीम का नेतृत्व कर रहे थे।

एमके सिन्हा ने भारत के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल पर जांच में दखल देने का आरोप लगाया था। और कहा था कि अजीत डोवाल ने जांच के एक निर्णायक बिंदु पर आकर दखल दिया।

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एमके सिन्हा की जांच टीम में शामिल एके बस्सी को भी राकेश आस्थाना के खिलाफ जांच करना भारी पड़ा है। उनका तबादला भी अंडमान निकोबार कर दिया गया है। इस टीम को राकेश आस्थाना के खिलाफ जांच करने की जिम्मेदारी सीबीआई के चीफ आलोक वर्मा ने दी थी।

कुछ समय बाद आलोक वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। और सीबीआई के कार्यवाहक के तौर पर एम नागेश्वर राव को सीबीआई की जिम्मेदारी दी गई थी।

लेकिन जिम्मेदारी संभालने के बाद नागेश्वर राव ने रातों रात करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारियों के तबादले कर दिए। और आस्थाना के खिलाफ चल रही जांच को कमजोर कर दिया।

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