“आपने 60 साल तक शासक चुने हैं, आपने 60 साल तक शासकों को देश और राज्य चलाने का काम दिया है, मैं आपसे सिर्फ 60 महीने मांगने के लिए आया हूं। आपने 60 साल दिए हैं, मुझे 60 महीने दीजिए, आपने शासकों को चुना है, एक बार सेवक को चुनकर के देखिए। मैं इस देश की तस्वीर बदल कर रख दूंगा”।

ऐसी बातें नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले किया करते थे। वह अपनी हर चुनावी रैली में इस बात का दावा करते थे कि अगर 60 महीनों के लिए उनके हाथों में देश की कमान सौंप दी जाए तो वो देश को वहां पहुंचा देंगे जहां पूर्ववर्ती सरकारें देश को 60 सालों में नहीं पहुंचा सकी।

उन्होंने ग़रीबी और महंगाई की मार झेल रही देश की जनता को इतने सुनहरे सपने दिखाए कि देश के पास उन्हें चुनने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा। देश की जनता ने उनपर विश्वास दिखाया और उनके हाथों में देश की बागडोर थमा दी। नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए और लोगों में एक नए सवेरे की उम्मीद जाग गई। वादे के मुताबिक लोगों ने अच्छे दिन का इंतेज़ार करना शुरु कर दिया।

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वक्त धीरे-धीरे बीतता गया और इस तरह 60 महीने पूरे हो गए। लेकिन जनता के अच्छे दिन नहीं आए। बल्कि जनता को और बुरे दिन देखने पड़े। महंगाई बढ़ती गई, नौकरियां जाती रहीं, देश खुशहाली के मामले में पिछड़ता गया, देश में महिलाओं के लिए ख़तरा बढ़ता गया, नोटबंदी और जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्थी पर भी बुरा प्रभाव डाला।

जब सरकार हर मोर्चे पर नाकाम हो गई तो कहा गया कि अच्छे दिन महज़ एक जुमला था। फिर ख़ुद को बचाने के लिए नए शिगूफे तलाशे जाने लगे। सत्तारूढ़ पार्टी की ओर से यह कहा जाने लगा कि 60 सालों की गंदगी को 60 महीने में साफ़ नहीं किया जा सकता। इसके लिए ज़्यादा वक्त की दरकार है। बदलाव के लिए मोदी सरकार को पांच साल का और वक्त दिया जाना चाहिए।

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इसी नए शिगूफे को बड़े ही बेहतरीन अंदाज़ से पीएम मोदी ने वाराणसी में जनता के सामने रखा। उन्होंने कहा, “बीते पांच साल ईमानदारी के प्रयास के थे। आने वाले पांच साल उन प्रयासों को विस्तार देने के होंगे। बीते पांच साल परिवर्तन की शुरुआत के थे। आने वाले पांच साल अच्छी ज़िंदगी के होंगे”।

अब सवाल यह उठता है कि जब पीएम मोदी को पता था कि पांच साल सिर्फ बदलाव की तैयारी में लगते हैं तो उन्होंने पांच साल पहले देशवासियों से ये वादा क्यों कर लिया था वह 60 महीनों में उनकी ज़िदगी बदल देंगे? क्या बदलाव का मतलब बेराज़गारी का बढ़ना था?

सवाल यह भी है कि जो मोदी अपने पुराने वादों को अपने पांच सालों के कार्यकाल में पूरा नहीं कर पाए वह आने वाले पांच सालों में नए वादों को पूरा कर देंगे, इसकी क्या गारंटी है?

By: Asif Raza

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