
जम्मू कश्मीर में जैसे ही महबूबा मुफ्ती ने सरकार बनाने का दावा किया और कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस से समर्थन लेकर वह सरकार बनाने जा रही हैं, वैसे ही राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी।
राज्यपाल सत्यपाल मालिक ने कहा कि अयोग्य गठबंधन को सरकार बनाने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा, “मैं क़ानून के तहत प्राप्त अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए विधान सभा को भंग करता हूं”।
राज्यपाल के इस फ़ैसले को विपक्षी नेताओं से लेकर कई मशहूर हस्तियों ने लोकतंत्र के ख़िलाफ़ बताया है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्विटर के ज़रिए कहा, “जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का अचानक भंग किया जाना पूर्णत: अलोकतांत्रिक है”।
जम्मू-कश्मीर की विधान सभा का अचानक भंग किया जाना पूर्णत: अलोकतांत्रिक है. आज कश्मीर से लेकर केरल तक हर जगह लोकतंत्र ख़तरे में है. देश के सभी विचारवान नागरिकों को एक साथ आना होगा नहीं तो जनतंत्र व जनमत का गला घोंट दिया जाएगा.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) November 22, 2018
उन्होंने आगे लिखा, “आज कश्मीर से लेकर केरल तक हर जगह लोकतंत्र ख़तरे में है। देश के सभी विचारवान नागरिकों को एक साथ आना होगा नहीं तो जनतंत्र व जनमत का गला घोंट दिया जाएगा”।
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वहीं सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने राज्यपाल के इस फैसले को लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ बताया है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “एनसी और पीडीपी के गठबंधन के ज़रिए सरकार बनाने के दावो के कुछ ही घंटे बाद बीजेपी के सियासी स्पीकर द्वारा जम्मू कश्मीर की विधानसभा को भंग करना यह दर्शाता है कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर पर केंद्र से शासन करना चाहती है। इसके बाद भी लोकतंत्र की बात करना बकवास है”।
The dissolution of the J&K Assembly by BJP'S political speaker, hours after NC & PDP came together with a clear majority & staked clain to form govt there, shows that BJP intends to rule J&K from the centre & it's talk about democracy there is all humbug.
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) November 22, 2018
बता दें कि इस साल जून में पीडीपी और बीजेपी के गठबंधन से चल रही सरकार गिर गई थी। उसके बाद से विधानसभा को कोई दूसरी सरकार बनने की उम्मीद में भंग नहीं किया गया था।
इससे पहले बुधवार को दिनभर राज्य में नई सरकार बनने की ख़बरें उड़ती रहीं। लेकिन सरकार बनाने की इस रेस में कांग्रेस, नेशनल कांफ़्रेंस और पीडीपी का गठबंधन आगे दिख रहा था।
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पीडीपी, नेशनल कांफ़्रेंस और कांग्रेस ने पुष्टी की थी कि वो तीनों मिलकर जम्मू-कश्मीर में गठबंधन सरकार बनाने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। लेकिन शाम होते ही राज्यपाल ने तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए, विधानसभा को ही भंग कर दिया।
ग़ौरतलब है कि विधान सभा भंग होने से पहले पीडीपी के पास 28 और कांग्रेस के पास 12 विधायक थे। पीपल्स कांन्फ़्रेंस के पास दो और बीजेपी के 25 विधायक थे।