महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में नक्सलियों ने एक बड़े हमले को अंजाम दिया है। नक्सलिओं ने IED ब्लास्ट कर पुलिस की गाड़ी उड़ा दिया है, जिसमें 15 जवानों के मारे जाने की ख़बर है।

खबरों के मुताबिक, नक्सलियों ने यह धमाका जंभरखेड़ा गांव में बुधवार सुबह किया। नक्सलियों ने पुलिस की गाड़ी को उस वक्त निशाना बयाना जब पुलिस की टीम उस जगह जा रही थी, जहां सुबह में ही नक्सलियों ने करीब 25 से 30 गाड़ियों को आग के हवाले किया था। बताया जा रहा है कि जिस पुलिस की गाड़ी पर नक्सलियों ने हमला किया है, उसमें 16 सुरक्षा कर्मी मौजूद थे।

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इस हमले के बाद अब भारत के खूफिया विभाग पर सवाल उठने शुरु हो गए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि आखिर हमारा खूफिया विभाग कहां है? हमारा खूफिया विभाग हमलों के बारे में पता लगाने में क्यों नाकाम है?

बता दें कि इससे पहले 16 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले के बाद भी इंटेलिजेंस पर सवाल उठे थे।

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पत्रकार आशुतोष मिश्रा ने इंटेलिजेंस की नाकामी पर तंज़ कसते हुए ट्विटर के ज़रिए कहा, “गढचिरौली में 15 कमांडो नक्सली हमले में मारे गए हैं। पुलवामा के बाद दूसरी ऐसी बडी घटना हुई है। इंटेलीजेंस की नाकामी पर सवाल तब भी देशद्रोही करार दिए गए अब भी दिए जाएंगे। सुरक्षा में नाकामी की जवाबदेही किसकी”? 

वहीं पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा ने भी इसपर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “हाल के दिनों में राजनीति का सबसे लाभ उठाया तो वह है इंटेलिजेंस ने। एक और बड़ा नक्सल हमला। 15 जवान शहीद। लेकिन आराम से मौज कर रहे इंटेलिजेंस सिस्टम को पता है कि कोई उनकी विफलता पर बात नहीं करेगा। और जो करेगा उसे उलटे उसकी कीमत चुकानी पड़ेगी। अद्भुत है। विफलता में भी इनकी सफलता है”। 

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