भारतीय रेलवे ने प्लेटफॉर्म टिकट का दाम बढ़ाने का फैसला किया है। रेलवे ने 6 डिवीजनों के स्टेशनों के लिए प्लेटफॉर्म टिकट के दाम 10 रुपये से बढ़ाकर 50 रुपये कर दिया है। ऐसा कोरोना वायरस के मद्देनज़र किया गया है। रेलवे का कहना है कि इस फैसले से प्लेटफॉर्म पर भीड़ कम होगी।
भले ही रेलवे प्लेटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाकर भीड़ कम करने का दावा कर रही हो, लेकिन हक़ीक़त ये है कि कोरोना के डर से भीड़ ख़ुद ही कम हो गई है। यात्री कोरोना संक्रमण के डर से यात्रा नहीं कर रहे हैं। यहां तक की जिन लोगों ने पहले से टिकट बुक कर रखे थे, वह भी टिकट कैंसल करा रहे हैं। यात्रियों की कमी के चलते 85 ट्रेनें भी रद्द कर दी गई हैं।
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ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, सिर्फ नॉर्दन रेलवे ज़ोन में 1 मार्च से 12 मार्च के बीच 12.29 लाख के करीब टिकट कैंसिल हुए हैं। ये आंकड़ा अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इससे पहले फरवरी की बात करें तो इस दौरान सिर्फ 7.25 लाख टिकट कैंसिल हुए थे।
टिकट कैंसल के ज़रिए नॉर्दन रेलवे ने करीब 85 करोड़ रुपये कमाए हैं। यानी टिकट कैंसल और प्लेटफॉर्म टिकट के दाम बढ़ाने, दोनों ही सूरत में मुनाफ़ा कमाने की कोशिश की जा रही है! ऐसी स्थिति में भी सरकार की तरफ़ से ऐसी कोई पहल नहीं की जा रही जिससे यात्रियों की जेब पर बोझ कम पड़े।
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सरकार के इसी रवैये पर यूथ कांग्रेस अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने ट्विटर के ज़रिए कहा, “रेलवे स्टेशन पर कोरोना वायरस के चलते भीड़ इकट्ठा होने से रोकने के लिए सरकार ने प्लेटफॉर्म टिकिट किया 50 रुपये। फिर सरकार ने सार्वजनिक परिवहन में भीड़ रोकने के लिए निजी वाहनों में इस्तमाल होने वाला पेट्रोल-डीजल 30-40 रुपए लीटर क्यों नहीं किया? सिर्फ लूट – कोई छूट नहीं?”
– रेलवे स्टेशन पर #coronavirus के चलते भीड़ इकट्ठा होने से रोकने के लिए सरकार ने प्लेटफॉर्म टिकिट किया 50/- रुपये..
– फिर सरकार ने सार्वजनिक परिवहन में भीड़ रोकने के लिए निजी वाहनों में इस्तमाल होने वाला पेट्रोल-डीजल 30-40/- रुपए लीटर क्यों नही किया?
SIRF LOOT – NO CHOOT ? pic.twitter.com/KT6vJxHRi4
— Srinivas B V (@srinivasiyc) March 17, 2020
बता दें कि इस समय अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कमी में भारी गिरावट आई है, लेकिन इसके बावजूद भारत में पेट्रोल-डीज़ल के दामों में कोई ख़ास कमी देखने को नहीं मिली है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर सरकार पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम कर देती है तो इससे सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल में कमी आ सकती है, जिससे काफी हद तक कोरोना संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है।