नोटबंदी को दो साल बीत चुके हैं। पीएम मोदी ने अभी तक देशवासियों को इसकी सफलता की बधाई नहीं दी। शायद पीएम मोदी भी नोटबंदी को सफल नहीं मानते इसलिए बधाई नहीं दी।

लेकिन 16 नवंबर 2018 को कांग्रेस पर निशाना साधने के लिए पीएम मोदी ने एक चुनावी सभा में नोटबंदी का जिक्र जरूर किया। पीएम मोदी मध्य प्रदेश की चुनावी सभा में कहा कि ‘नोटबंदी से सिर्फ कांग्रेस रो रही है। ये परिवार रो रहा है। क्योंकि उनके चार पीढ़ी का जमा कराया चला गया। इसलिए रो रहे हैं, आंसू नहीं सूख रहे।

अरे जवान बेटे के मर जाए तब भी एक बूढ़ा बाप साल भर में संभल जाता है। लेकिन इनका (कांग्रेस) का कितना लुट गया कि दो-तीन साल बाद भी संभल नहीं पा रहे हैं।’

पीएम मोदी बड़बोले हैं इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए। पीएम के भाषण से नोटबंदी में मरे 100 से ज्यादा लोगों के परिवार को कितनी तकलीफ हुई होगी, उन्हें इसका अंदाजा भी नहीं।

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अंदाजा होगा भी कैसे, जिसके शासन काल में हजारों लोग दंगे (गुजरात 2002) की बली चढ़ गए हो, उन्हें सौ ढ़ेढ सौ लोगों के मरने से भला क्यों तकलीफ होगी?

ख़ैर, पीएम मोदी के इस भाषण पर सवाल उठाते हुए वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार पूछते हैं कि नोटबंदी के दौरान 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी, क्यो वे लोग अपनों के दुख से साल भर के भीतर उबर गए होंगे? क्या प्रधानमंत्री नोटबंदी में मारे गए किसी परिवार के घर गए थें? क्या उनका कोई मंत्री गया था, जो लौट कर बता रहे हैं कि नोटबंदी के दौरान मरने वाला परिवार साल भर में संभल गया है?

एनडीटीवी इंडिया के पत्रकार सुशील महापात्रा दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली वीणा देवी के यहां गए। 53 साल की वीणा देवी की मीडिया ने नोटबंदी के वक्त खूब रिपोर्ट बनायी थी। अब कोई नहीं जाता है। वीणा देवी के पति सब्ज़ी बेचते थे, नोटबंदी के दौरान नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगे थे। दिल का दौरा पड़ा और मर गए।

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पीएम मोदी चुनावी सभा में सवाल पूछते हैं कि अब नोटबंदी से जनता रो रही है क्या? पीएम के सवाल के जवाब में वीणा देवी कहती हैं कौन नहीं रो रहा।  मैं तो रो रही हूं।

वीणा देवी नोटबंदी का जिक्र सुनते ही रोने लगती हैं। मानो उनके उपर दु:ख का पहाड़ टूट पड़ा हो। अपने पति को नोटबंदी में खोने वाली वीणा देवी कहती हैं नोटबंदी से हम आजतक रो रहे हैं। नोटबंदी से हमारी बर्बादी हुई है। हमारे पति चले गए… हमारा कोई औलाद नहीं है, जो कमाने वाला था वही चला गया।

पत्रकार सुशील महापात्रा जब वीणा देवी से पूछते हैं कि क्या आप एक दो साल में संभल गई हैं? तो वीणा देवी कहती हैं मैं तो नहीं संभली बिल्कुल भी। मेरी मदद पड़ोसी करते हैं, कोई कमाने वाला नहीं है। मैं तो जिंदगीभर के लिए नहीं संभलूंगी।

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सुशील पूछते हैं कि क्या नेताओं का बयान आपको बुरा लगता है? इसपर वीणा देवी कहती हैं कि बहुत बुरा लगता है। जब टीवी पर नोटबंदी का कुछ आता है मैं टीवी बंद कर देती हूं… इतना कहकर वीणा देवी फिर रोने लगती हैं।

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नोटबंदी के दौरान 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी, क्या वे लोग अपनों के दुख से साल भर के भीतर ही उबर गए होंगे. नोटबंदी के दो साल बाद उस दौरान मारे गए परिवारों के बारे में प्रधानमंत्री का शायद यह पहला बयान होगा. क्या प्रधानंत्री नोटबंदी के दौरान मारे गए किसी परिवार के घर गए थे, क्या उनका कोई मंत्री गया था जो लौटकर बता रहे हैं कि नोटबंदी के दौरान मरने वाला परिवार साल भर में संभल जाता है. हमारे सहयोगी सुशील महापात्रा दिल्ली के उत्तम नगर में रहने वाली वीणा देवी के यहां गए. 53 साल की वीणा देवी की मीडिया ने खूब रिपोर्ट बनाई थी, अब कोई नहीं जाता है. वीणा देवी के पति सब्ज़ी बेचते थे, नोटबंदी के दौरान नोट बदलवाने के लिए लाइन में लगे थे. दिल का दौरा पड़ा और मर गए.

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वो कहती हैं कि नोटबंदी करके क्या कर लिया… हमारा तो पति छीन लिया न, हमारे पास से कौन सा काला धन निकाल लिया… बताओ ? वीणा देवी रो रोकर बताती हैं कि ‘कोई सरकार हमसे मिलने नहीं आयी, अरे हमदर्दी जताने तो आ जाते।’

 

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