अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में पूरी हो गई। 40 दिन तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। 23 दिन में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने भले ही इसपर अभी फैसला नहीं सुनाया है, लेकिन देश के मेनस्ट्री मीडिया ने स्टूडियो से ही इसपर वर्डिक्ट देना शुरु कर दिया है। चैनलों से ये घोषित किया जाने लगा है कि अयोध्या की विवादित भूमि पर राम मंदिर ही था। जिसे तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया।
दंगा भड़काने की कोशिश! एक्टिविस्ट बोले- आजतक और अंजना माफ़ी मांगे, नहीं तो भुगते कानूनी परिणाम
न्यूज़ चैनल आजतक ने ट्विटर पर अपने प्रोग्राम का एक पोस्टर शेयर किया है। जिसमें लिखा है, ‘जन्मभूमि हमारी, राम हमारे, मस्जिद वाले कहां से पधारे?’ इस पोस्टर से ही चैनल की मंशा को साफ़ तौर पर समझा जा सकता है।
आज तक द्वारा की गई इस शर्मनाक एवं सांप्रदायिक हरकत की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है। ऐसी तैसी डेमोक्रेसी नाम के ट्विटर यूजर ने लिखा- देश हमारा सारे भारतवासी हमारे, बीच में आग लगाने को ये न्यूज़ चैनल कहां से पधारे?
देश हमारा, सारे भारतवासी हमारे
बीच में आग लगाने को ये न्यूज़ चैनल कहाँ से पधारे?— Aisi Taisi Democracy (@AisiTaisiDemo) October 17, 2019
इसके साथ ही इसपर प्रतिक्रिया देते हुए एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर सिंह ने लिखा- हाँ
जन्मभूमि हमारी, राम हमारे
पर ये क्या घटिया सवाल कि
मस्जिद वाले कहाँ से पधारे?
ऐसी सोच रखने वाले
हो नहीं सकते राम के दुलारे
राम तो बसते हैं कण कण में प्यारे
चाहे मंदिर हो, गिरजाघर हो
या फिर मस्जिद और गुरुद्वारे
तुम बुनते रहो चैनलों पर ऐसे नारे
कामना है राम एक दिन तुमको सुधारे
हाँ
जन्मभूमि हमारी, राम हमारे
पर ये क्या घटिया सवाल कि
मस्जिद वाले कहाँ से पधारे?
ऐसी सोच रखने वाले
हो नहीं सकते राम के दुलारे
राम तो बसते हैं कण कण में प्यारे
चाहे मंदिर हो, गिरजाघर हो
या फिर मस्जिद और गुरुद्वारे
तुम बुनते रहो चैनलों पर ऐसे नारे
कामना है राम एक दिन तुमको सुधारे pic.twitter.com/8O6eDCawWJ— Umashankar Singh (@umashankarsingh) October 17, 2019
जिस मामले की संवेदनशीलता को समझते हुए ख़ुद सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थ्ता की बात करता रहा है, उस मामले पर चैनल सीधे तौर पर अपना जजमेंट दे रहा है कि विवादित ज़मीन जन्मभूमि है, उसपर मुसलमानों का कोई हक़ नहीं है।
इस कदर संवेदनशील मामले पर इस तरह की पत्रकारिता क्या लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए काफी नहीं है? क्या इसे चैनल का किसी एजेंडे के तहत दंगा भड़काने का मंसूबा नहीं समझा जाना चाहिए?