आज दिल्ली हाईकोर्ट ने कांग्रेसी नेता और पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 84 सिख विरोधी दंगों में उम्र कैद की सजा सुना दी है। कोर्ट ने सज्जन कुमार को सिंखों के खिलाफ हिंसा में दोषी करार देते हुए सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा और पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट में सज्जन कुमार को हत्या, साजिश, दंगा भड़काने और भड़काऊ भाषण देने का दोषी पाया गया है।

दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले के बाद राजनीति गलियारों में एक बार फिर इन दंगों को लेकर देश में बहस छिड़ गई है।

सज्जन कुमार जैसी सज़ा हर ‘दंगाई’ को मिले, फिर चाहे 1984 हो या 2002 हो

 आप विधायक जरनैल सिंह ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि इस देश में दो बारी सरकारी कत्लेआम हुआ, पहला 1984 दूसरा 2002 गुजरात।

1984 वालों को तो 34 साल बाद न्याय की किरण नजर आना शुरू हो गई, अगला नंबर 2002 वालों का है। चाहे कोई भी हो संप्रदायिकता फैलाने वालों को कड़ा संदेश देना जरूरी है।

आपको बता दें कि आज़ाद भारत में दो बार बड़े पैमाने पर बहुसंख्यक हिंदुओं ने अल्पसंख्यकों के साथ बर्बरता की।

पहली बर्बरता 1984 में हुई। ये सिख विरोधी दंगा के रुप में दर्ज है। इस दंगे में उग्र हिंदुओं ने अल्पसंख्यक सिखों का नरसंहार किया। तब देश में कांग्रेस की सरकार थी।

84 के सिख विरोधी दंगे में भी पीछे नहीं रहे बीजेपी नेता, RSS-BJP के 49 नेताओं के ख़िलाफ़ हुई थी FIR

दूसरी बर्बरता सन 2002 में गुजरात में हुई। इस दंगे में अल्पसंख्यक मुस्लिमों का नरसंहार किया गया था। तब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी थें और इस दंगे में उनकी मुख्य भूमिका बताई जाती है। हालांकि नरेंद्र मोदी की तमाम जांच एजेंसियों की रिपोर्ट में बेदाग साबित हो चुके हैं।

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