एक अभिनेता किस नज़र से समाज को देखता है? उसके अंदर क्या अहसास होता है, जब शहरों के नाम बदलते हुए देखता है उसके मन में क्या होता है, इसका जवाब दिया है अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा ने।

जिनसे पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने देश के मौजूदा हालतों पर सवाल किये जिसका उन्होंने बड़ी ही बेबाकी से जवाब दिया है।

एंकर ने सवाल पूछा कि देश की आबो हवा कैसी है आजकल?

कभी कभी कुछ बदलाव क्रोध को पैदा करते है और कभी कभी कुछ क्रोध के कारण भी बदलाव होता है। फिर पत्रकार ने सवाल किया कि अभिनेता क्या आज की तस्वीर देख पा रहा है?

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आशुतोष राणा कहा कि हम कलाकार नौ रस वाली जिंदगी जीते है इनमें से कोई एक रस निकल जाता है जो जीने मज़ा नहीं होता।

उन्होंने आगे एक लाइन जोड़ते हुए कहा कि बांट दिया इस धरती को चाँद सितारों का क्या होगा नदियों के नाम रखें बहती धारों क्या होगा? और शिव की गंगा भी पानी है अबे जम जम भी पानी है मुल्ला भी पिए पंडित भी पिए पानी का मजहब क्या होगा?और इन फिरका परस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे?

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एक हवा में सांस है सबकी क्या हवा भी नहीं चलाओगे। नस्लों का करें जो बंटवारा रहबर वो कौम का ढोंगी है और क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था या राम ने मस्जिद तोड़ी है।

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