पांच राज्यों में चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी की राजनीति अब गौ-गोत्र, अली-बजरंगबली से आगे जाकर भगवान की जाति तक पहुँच गई है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को राजस्थान के अलवर में एक रैली के दौरान भगवान हनुमान को दलित बता दिया। उन्होंने कहा कि, “बजरंगबली एक ऐसे लोक देवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं, दलित हैं और वंचित हैं।”

भाजपा का योगी आदित्यनाथ के जरिए इस तरह का बयान दिलवाना जातिगत राजनीति का अबतक का सबसे निम्न और अजीब बयान है। अभी तक भाजपा दलितों को मारती-पीटती थी, लेकिन अब भगवान हनुमान के जरिये दलितों को साधने में लगी है।

लेकिन यह बात भी विचार करने योग्य है कि अगर यही बयान किसी अन्य विपक्षी दल के नेता ने दिया होता तो बीजेपी उसका क्या हश्र करती?

यह भी चिंता का विषय है कि हिन्दु हित की बात करने वाली भाजपा अब हिंदुत्व के एजेंडे में देवी-देवताओं को भी ले आई है। इससे जान पड़ता है कि अब भाजपा से सच में हिन्दू खतरे में है।

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योगी ने वोट मांगने के लिए अपने भाषण का स्तर इतना नीचे कर लिया कि उन्होंने भगवान को भी जाति में घसीट लिया।

यही नहीं, योगी ने मध्य प्रदेश की एक रैली में कमलनाथ के एक बयान पर भगवान हनुमान के लिए ज़हरीले बोल, बोल चुके हैं। उन्होने कहा था कि,  “आपको अली मुबारक हो, हमारे लिए बजरंगबली ही काफी हैं।”

योगी के बयान से साफ़ हो रहा है कि एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी का चुनावी मुद्दा ‘विकास’ नहीं बल्कि, मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करना है।

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यह भी कितना शर्मनाक है कि देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश जहाँ मुसलमानों की एक बड़ी जनसंख्या रहती है वहां का सीएम इस तरह की भाषा बोले।

जिससे लोगों में नफरत पैदा हो। हैरानी की बात तो ये है कि प्रधानमंत्री मोदी भी ऐसे बयान देते हैं और उसका समर्थन करते हैं।

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