भारत की पाँच हज़ार साल की संस्कृति है। ये एक बेहद लम्बा वक़्त होता है किसी भी समाज में आई बुराई, ग़लती को दूर करने के लिए।

लेकिन अफ़्सोस की भारत में यहाँ के मूल निवासियों में से एक दलित समाज को अब तक वो इज़्ज़त हासिल नहीं है जो उन्हें होनी चाहिए।

हिंदू समाज की कथित ऊँची जातियों के लिए दलित अब भी अछूत हैं। भारत के पीएम ने गुजरात के ऊना में दलितों की बेरहमी से हुई पिटाई के बाद कहा था कि- गोली मारनी है तो मुझे मार दो पर मेरे दलित भाइयों पर हमले मत करो। हालांकि उनकी बाते भाषणों और ट्वीटर पर ज़्यादा रहती हैं और ज़मीनी स्तर पर कम।

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ख़ैर हम आपको आज बता रहे हैं भारत के उन बड़े मंदिरों के बारे में जहाँ दलितों की एंट्री आज भी बैन है-

इन मंदिरों में कुछ प्रसिद्ध मंदिर हैं-

भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर-

11 वीं सदी के इस प्राचीन मंदिर में न सिर्फ़ ग़ैर हिंदुओं के प्रवेश को मनाही है बल्कि दलितों के प्रवेश पर भी रोक है। इस मंदिर के गर्भ गृह में दलित सालभर में सिर्फ़ एक बार जा सकते हैं। कहा जाता है कि उनके वापस लौटने पर मंदिर की गंगाजल से शुद्धि की जाती है।

बनारस का काल भैरव मंदिर-

बनारस विभिन्नताओं का शहर है। यहाँ हर धर्म-जाति, संस्कृति के लोग मिलते हैं इसके बावजूद यहाँ स्थित काल भैरव मंदिर में भगवान का चरण स्पर्श करने की इजाज़त दलित समाज के भक्त को नहीं है।

बागेश्वर का बैजनाथ मंदिर-

उत्तराखंड के बागेश्वर के बैजनाथ मंदिर के पुरोहित के मुताबिक़ मंदिर में ब्राह्मण-क्षत्रिय तो आ सकते हैं लेकिन दलितों के लिए मनाही है।

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अल्मोड़ा का जागेश्वर धाम-

उत्तराखंड में ही मौजूद अल्मोड़ा के प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में दलितों को अंदर आने की अनुमति नहीं है। अगर वो चाहें तो बाहर से प्रार्थना कर सकते हैं।

ये थे भारत के कुछ जाने माने मंदिर जहाँ दलितों की एंट्री बैन है। इसके अलावा भारत में ऐसे सैकड़ों मंदिर हैं जहाँ दलित नहीं जा सकते।

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